शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा: बूंदी में फर्जी दस्तावेज से भर्ती हुए दो शिक्षक सेवा से बर्खास्त

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Bundi Crime News:

Bundi Crime News: राजस्थान के बूंदी जिले में शिक्षक भर्ती के दौरान फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल करने वाले दो शिक्षकों का मामला तूल पकड़ चुका है। विशेष ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में यह खुलासा हुआ कि वर्ष 2022 में इन शिक्षकों ने सरकारी नौकरी पाने के लिए (Bundi Crime News)जाली प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किया। मामले की जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया, और दोनों शिक्षकों को सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया।


फर्जी दस्तावेज पाए जाने के बाद हुई कार्रवाई

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने निर्देश जारी कर दोनों शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी। जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार व्यास ने बताया कि जावंटी कला ग्राम पंचायत के जावंटी खुर्द स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत निर्मला गुर्जर और इंद्रगढ़ क्षेत्र के गुड़ा ग्राम पंचायत के हिम्मतपुरा स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत भूपेंद्र वर्मा की डिग्री को संदिग्ध पाया गया। एसओजी द्वारा जांच के बाद यह पुष्टि हुई कि दोनों ने फर्जी दस्तावेज जमा किए थे। इसके आधार पर शिक्षा निदेशक के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई।


प्रोबेशन काल पूरा होने से पहले हुई कार्रवाई

शिक्षा अधिकारी राजेंद्र व्यास ने बताया कि वर्ष 2022 में आयोजित शिक्षक भर्ती में इन दोनों का चयन हुआ था। चयन के बाद काउंसलिंग और दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया के तहत उनके दस्तावेज निदेशालय, बीकानेर भेजे गए थे। हालांकि, जांच प्रक्रिया में चूक के कारण फर्जी दस्तावेजों की पहचान तुरंत नहीं हो सकी। प्रोबेशन काल पूरा होने से पहले एसओजी द्वारा दस्तावेजों की जांच की गई और मामला उजागर हुआ। इसके बाद कार्रवाई करते हुए नियुक्ति निरस्त कर दी गई।


फर्जी दस्तावेज: फैजाबाद यूनिवर्सिटी का नाम आया सामने

सूत्रों के अनुसार, दोनों शिक्षकों ने फैजाबाद की एक यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। ये दस्तावेज जांच में पूरी तरह फर्जी पाए गए। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी चूक भर्ती प्रक्रिया के दौरान कैसे हुई। वर्ष 2022 की भर्ती में ज्वाइनिंग के समय इनके दस्तावेजों की सही ढंग से जांच क्यों नहीं की गई?


एसओजी की कार्रवाई ने उजागर की लापरवाही

यदि एसओजी ने समय पर इन दस्तावेजों की जांच नहीं की होती, तो दोनों शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के साथ सरकारी नौकरी करते रहते। एसओजी की इस कार्रवाई ने न केवल फर्जीवाड़े का खुलासा किया है, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब विभाग में इस लापरवाही को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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