Caste Census in Jharkhand: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से जातीय सर्वेक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।(Caste Census in Jharkhand) उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2024 को कैबिनेट बैठक में जातीय सर्वे कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
तेलंगाना से तुलना पर सरकार का जवाब
प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि झारखंड से बाद में तेलंगाना ने जातीय सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया था और वहां फरवरी 2025 में इसकी रिपोर्ट भी आ गई, जबकि झारखंड में प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई। इस पर जवाब देते हुए मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि जातीय जनगणना कराने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन झारखंड सरकार अगले वित्तीय वर्ष में खुद जातीय सर्वेक्षण शुरू कराएगी। सरकार इस प्रक्रिया के लिए सही एजेंसी तय करने की दिशा में काम कर रही है।
जातीय गणना है समाज का एक्सरे
बजट सत्र के बाद मीडिया से बातचीत में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने जातीय सर्वेक्षण को समाज का एक्सरे और एमआरआई रिपोर्ट की तरह बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जातियों की संख्या गिनने का काम नहीं करता, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि समाज में कौन-सी जातियां किस स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि जातीय सर्वेक्षण के जरिए दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए ठोस नीति बनाई जा सकती है।
चुनावी वादा और सरकार की प्रतिबद्धता
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्रों में जातीय सर्वेक्षण कराने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव से पहले राज्य कैबिनेट ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अब सरकार ने इस पर ठोस कदम उठाने का संकेत दिया है, जिससे राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।