छात्रों की आत्महत्या के पीछे कौन? सुप्रीम कोर्ट ने बनाई टास्क फोर्स, हर पहलू की होगी जांच

Supreme Court

Supreme Court : देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। IIT दिल्ली के दो छात्रों की संदिग्ध मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच का आदेश दिया है। यह आदेश उन छात्रों के माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया।(Supreme Court ) याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनके बच्चों को जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनकी जान गई।


दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका की थी खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने दी जांच की मंजूरी

IIT दिल्ली में पढ़ रहे दो बी.टेक छात्रों की संदिग्ध मौत के बाद उनके परिजनों ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने एफआईआर दर्ज करने और किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। हालांकि, 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए दिल्ली पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं।


कैसे हुई IIT दिल्ली में छात्रों की संदिग्ध मौत?

मृतक छात्र IIT दिल्ली के बी.टेक पाठ्यक्रम के छात्र थे। उनकी मौत 2023 में IIT परिसर में हुई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनके बच्चों को जातिगत भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही थी, जिससे वे गहरे अवसाद में चले गए। इतना ही नहीं, परिजनों ने यह भी संदेह जताया कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला हो सकता है। उनका कहना है कि संस्थान प्रशासन और पुलिस की लापरवाही के कारण उनके बच्चों की मौत हुई।


क्या पुलिस और प्रशासन ने की अनदेखी?

मृत छात्रों के माता-पिता का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चों पर बढ़ते मानसिक दबाव और भेदभाव को लेकर कई बार शिकायत की थी, लेकिन पुलिस और संस्थान ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अगर समय रहते उचित कदम उठाए जाते, तो उनके बच्चों की जान बच सकती थी।


क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के जज?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न बेहद गंभीर मुद्दे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी छात्र को इस तरह की प्रताड़ना सहनी न पड़े।” कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच करे और जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करे।


आगे क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली पुलिस को अब इस मामले की विस्तार से जांच करनी होगी। यह देखना अहम होगा कि क्या जांच में छात्रों की मौत के पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र सामने आता है या फिर यह सच में आत्महत्या का मामला था। परिजनों को अब न्याय मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह मामला शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य और भेदभाव को लेकर एक बड़ी बहस को भी जन्म दे सकता है।

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