अनंत अंबानी ने 170 KM की पदयात्रा पूरी कर श्रीकृष्ण को किया समर्पित, भक्ति में डूबे दिखाई दिए

Anant Ambani Padayatra देश के प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी ने जामनगर से द्वारकाधीश मंदिर तक 170 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर ली है। यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि भारत की सभ्यतागत परंपरा की जीवंत मिसाल भी बनी। (Anant Ambani Padayatra) भारत में पदयात्राएं आध्यात्मिक साधना और श्रद्धा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। अनंत अंबानी ने इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर यह यात्रा पूरी की।

29 मार्च को शुरू हुई थी यात्रा

29 वर्षीय अनंत अंबानी ने 29 मार्च को जामनगर से पदयात्रा शुरू की थी। वे प्रतिदिन लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलते थे और रात को 7 घंटे तक लगातार पैदल यात्रा करते। उन्होंने यह यात्रा 10 दिनों में पूरी की और रामनवमी के शुभ अवसर पर द्वारका पहुंचे। इस धार्मिक यात्रा में अनंत अंबानी की मां नीता अंबानी और पत्नी राधिका मर्चेंट भी उनके साथ थीं। द्वारका पहुंचने पर तीनों के चेहरे पर श्रद्धा और संतोष की झलक साफ दिखाई दी। पदयात्रा के दौरान अनंत अंबानी के साथ रास्ते में कई श्रद्धालु जुड़ते गए। धार्मिक गीत, सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा और देवी मंत्रोच्चार ने यात्रा को और भी भव्य और पवित्र बना दिया।

द्वारका पहुंचने पर दी शुभकामनाएं

यात्रा के अंत में अनंत अंबानी ने कहा, “आप सबको जय द्वारकाधीश और रामनवमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे दर्शन हो चुके हैं और पदयात्रा का समर्पण भी पूरा हुआ है।” नीता अंबानी ने जताया गर्व नीता अंबानी ने भावुक होकर कहा, “मां के रूप में यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे बेटे ने यह पदयात्रा पूरी की। मेरा दिल खुशियों से भरा है और मैं द्वारकाधीश का धन्यवाद करती हूं।”

कठिनाइयों के बावजूद पूरी की यात्रा

अनंत अंबानी ने यह पदयात्रा कुशिंग सिंड्रोम, मोटापे, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी जैसी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद पूरी की। यह उनकी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। अनंत अंबानी एक समर्पित सनातनी हैं और बद्रीनाथ, केदारनाथ, नाथद्वारा, कामाख्या, कालीघाट जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर नियमित रूप से दर्शन करते हैं। उनका यह सफर उनके आध्यात्मिक जुनून को और मजबूत करता है। जहां एक ओर अनंत अंबानी रिलायंस की रिफाइनरी, नई ऊर्जा परियोजनाएं और ‘वंतारा’ पशु संरक्षण प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संभालते हैं, वहीं दूसरी ओर वे धार्मिक मूल्यों और सनातन संस्कृति को भी जीते हैं।

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