Jaishankar in Parliament: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत इस स्थिति पर ‘बहुत बारीकी से नजर बनाए हुए है’ और पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति अत्यधिक खराब हो चुकी है। (Jaishankar in Parliament)इस बयान पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने न सिर्फ सहमति जताई बल्कि इसे ‘पूरी तरह तथ्यात्मक’ भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत को इस मुद्दे पर और आक्रामक रुख अपनाते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की नीतियों को बेनकाब करना चाहिए।
भारत-पाकिस्तान के बीच कोई संवाद नहीं, शशि थरूर ने उठाए सवाल
थरूर ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर जयशंकर के बयान का समर्थन किया लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी चिंता सीधे तौर पर पाकिस्तान तक नहीं पहुंचा पा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक बातचीत नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट संकेत है कि हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या यह भी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई औपचारिक संवाद नहीं हो रहा है। अगर बातचीत होती, तो हम अपनी चिंता सीधे जता सकते थे और समाधान की मांग कर सकते थे।”
पाकिस्तान में सिखों और अहमदियों पर हमले बढ़े
जयशंकर ने संसद में बताया कि हाल ही में पाकिस्तान में सिख समुदाय पर तीन हमले हुए।
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एक घटना में एक सिख परिवार पर हमला किया गया।
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दूसरे मामले में एक गुरुद्वारा दोबारा खोलने पर धमकी दी गई।
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तीसरे मामले में एक सिख लड़की का अपहरण कर जबरन धर्मांतरण किया गया।
इसके अलावा, अहमदिया समुदाय पर भी हमले बढ़े हैं। हाल ही में एक मस्जिद को सील कर दिया गया और अहमदियों के 40 कब्रों को नष्ट कर दिया गया। ईसाई समुदाय को भी निशाना बनाया गया है।
थरूर की सरकार को नसीहत- कूटनीतिक दबाव बनाना जरूरी
शशि थरूर ने सरकार को सलाह दी कि भारत को इस मुद्दे पर सिर्फ बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस कूटनीतिक दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति ‘बेहद चिंताजनक’ है और भारत को इसे संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बांग्लादेश में भी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं। भारत को अपने पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस नीति बनानी होगी।
मोदी सरकार के लिए अगली चुनौती?
जयशंकर का बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है और वहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से सामने आ रही हैं। भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर यह मुद्दा और अधिक राजनीतिक तूल पकड़ सकता है।
अब देखना होगा कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर किस तरह का रुख अपनाती है और क्या यह भारत-पाकिस्तान संबंधों में कोई नया मोड़ लाएगा?