BJP Core Committee Meeting:राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने एक चौंकाने वाला निर्णय लिया है। पार्टी की कोर कमेटी की (BJP Core Committee Meeting)बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि उपचुनाव में जिस कैंडिडेट पर सभी नेताओं की सहमति बनेगी, केवल उसी को टिकट दिया जाएगा। यह कदम पिछली लोकसभा चुनाव में 11 सीटों की हार के बाद उठाया गया है। क्या यह सहमति-आधारित रणनीति बीजेपी को चुनाव में एक नई दिशा देगी?
भाजपा की बैठक में शामिल प्रमुख नेता
इस बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल, सह प्रभारी विजया राहटकर, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, सांसद भागीरथ चौधरी और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत शामिल हुए। विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और रक्षा भंडारी भी बैठक में उपस्थित थे, जबकि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़े।
प्रभारी और प्रदेशाध्यक्ष की दिल्ली यात्रा
भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, बैठक के बाद दो दिन दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात करने के लिए रवाना हुए। ये नेता लगातार बैठकें और फीडबैक के जरिए हर सीट के लिए तीन-तीन दावेदारों का पैनल पहले ही तैयार कर चुके हैं। कोर कमेटी की बैठक में पैनल के नामों पर चर्चा की गई, जिससे सहमति बनाने की कोशिश की गई है।
उपचुनाव की सीटों की स्थिति
राजस्थान में उपचुनाव की सात सीटों में से चार कांग्रेस के कब्जे में थीं, जबकि एक पर भाजपा का कब्जा था। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारत आदिवासी पार्टी के पास एक-एक सीट थी। टोंक से हरिशचंद्र मीणा, दौसा से मुरारीलाल मीणा, झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला, नागौर से हनुमान बेनीवाल और बांसवाड़ा-डूंगरपुर से राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद देवली-उनियारा, दौसा, झुंझुनूं, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीटें खाली हुई हैं। इसके अलावा, सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा और रामगढ़ विधायक जुबैर खान के निधन से भी दो सीटें खाली हुई हैं।