Rajasthan: उपचुनाव से पहले भजनलाल सरकार का बड़ा दांव! जानिए क्या है गौवंश को लेकर ऐतिहासिक फैसला

Cm Bhajan Lal Sharma

Cm Bhajan Lal Sharma: राजस्थान में उपचुनाव के नजदीक भजनलाल सरकार (Cm Bhajan Lal Sharma) ने एक साहसिक कदम उठाया है,  जिसने गायों के प्रति संवेदनशीलता को एक नया आयाम दिया है।सरकार ने ‘आवारा’ और ‘बेसहारा’ जैसे शब्दों पर रोक लगाते हुए अब गायों के लिए ‘निराश्रित’ शब्द का उपयोग करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय न केवल गायों की गरिमा को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह सभी सरकारी आदेशों, दिशा-निर्देशों, और रिपोर्टों में भी लागू होगा। इस पहल से न केवल गायों के प्रति सम्मान बढ़ेगा, बल्कि समाज में एक नई जागरूकता भी उत्पन्न होगी।

गोपालन विभाग के शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि गौवंश हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन दिनों अलग-अलग कारणों की वजह से गौवंश निराश्रित और बेसहारा हो जाते हैं, जिन्हें असहाय स्थिति में सड़कों पर या सार्वजनिक स्थानों पर देखा जाता है। इस वजह से इन गौवंश के लिए आवारा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह अपमानजनक और अनुचित है। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है।

नई शब्दावली का महत्व

स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गौवंश को आवारा ना कहकर ‘निराश्रित’ और ‘बेसहारा’ गौवंश संबोधित किया जाना चाहिए। यह शब्दावली इन गौवंश के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान और करुणा दर्शाती है, जिससे समाज में इन गौवंश के कल्याण के लिए दृष्टिकोण पैदा होगा।

सरकारी संस्थाओं पर प्रभाव

प्रदेश के सभी सरकारी और अनुदानित संस्थाओं द्वारा गौवंश के लिए अब से सम्मानजनक शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रदेश सरकार के किसी राजकीय आदेश, दिशा-निर्देश, सूचना, परिपत्र और रिपोर्ट में भी आवारा गौवंश के स्थान पर ‘निराश्रित’ और ‘बेसहारा’ गौवंश शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। इसके लिए निजी संस्थाओं को भी प्रेरित किया जाएगा।

पूर्ववर्ती स्थिति और भविष्य की उम्मीदें

बता दें कि पिछले लंबे वक्त से राजस्थान में गौवंश को लेकर नगर निगम और नगर पालिकाओं में आवारा गौवंश शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसको लेकर अब गोपालन विभाग ने गाइडलाइन जारी की है। ऐसे में भविष्य में आवारा गौवंश के स्थान पर अब ‘निराश्रित’ और ‘बेसहारा’ गौवंश शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रदेश में गौवंश की बदहाल स्थिति पर गोपालन विभाग कब तक कोई ठोस नीति बनाएगा और निराश्रित गौवंश की स्थिति में सुधार आ पाएगा।

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