Phone Tapping Case : चार साल पहले अशोक गहलोत सरकार के दौरान हुए फोन टैपिंग मामले में अब दिल्ली पुलिस की जांच राजस्थान पहुंचने वाली है। (Phone Tapping Case)दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी (ओएसडी) लोकेश शर्मा से जुड़े मोबाइल, पेन ड्राइव और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की एफएसएल जांच करवाने का निर्णय लिया है। इस कदम से यह संभावना जताई जा रही है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
फोन टैपिंग मामले में अब तक जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा तक अटकी हुई थी। वे पहले मोबाइल-पेन ड्राइव सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स दिल्ली पुलिस को सौंपने से बचते आ रहे थे। राज्य में सरकार बदलने के बाद शर्मा ने यू टर्न लिया। शर्मा ने न केवल इस मामले में खुलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगा दिए, बल्कि पिछले दिनों दिल्ली पुलिस को यह बयान भी दे दिया कि उन्हें तो गहलोत ने जो भी उपलब्ध कराया वह उनके निर्देशों की पालना में वायरल कर दिया।
ऑडियो की होगी सत्यता जांच
ऑडियो के टेलीफोन टैप प्रकरण से संबंधित होने या नहीं होने, उससे छेडछाड़ आदि की सत्यता पता करने के लिए एफएसएल जांच जरूरी है। ऐसे में एफएसएल रिपोर्ट से ही ऑडियो की सत्यता सामने आ पाएगी।
यह कर सकती है पुलिस
लोकेश शर्मा के बयान और उसके द्वारा पेश सबूतों के आधार पर जांच का दायरा आगे बढ़ा सकती है। आगे की पूछताछ की प्रक्रिया शुरू कर सकती है और जिनके भी बयान लेने हैं उनको नोटिस जारी कर सकती है। इसी घटना से जुडे एक अन्य प्रकरण में राजस्थान में एसीबी में मामला दर्ज है, संभव है दिल्ली पुलिस उस मामले की जानकारी भी मंगा सकती है।
टैपिंग की निर्धारित प्रक्रिया
फोन टैपिंग के लिए आइटी एक्ट के अंतर्गत गृह विभाग के संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी की कमेटी से अनुमति जरूरी है और रिव्यू के लिए मुख्य सचिव, विधि सचिव एवं गृह सचिव के अतिरिक्त किसी सचिव स्तर के अधिकारी की कमेटी होती है। दिल्ली पुलिस इस मामले में यह भी जांच करेगी कि एक्ट से संबंधित प्रक्रिया पूरी की गई या नहीं?