बेटा क्यों आया नहीं? 89 वर्षीय रवि किरण का दिल दहला देने वाला सवाल कब सुलझेगा!

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Elderly neglect in Jaipur:

Fortis Hospital Jaipur incident: क्या यह सच है कि मेरे बेटे ने मुझे छोड़ दिया?” 89 वर्षीय रवि किरण जोशी की आँखों में यह सवाल है, जो उनकी निर्बलता और बेचैनी को दर्शाता है। अस्पताल के बिस्तर पर लेटी हुई, वह दरवाजे की ओर टकटकी लगाए हैं, मानो उनके बेटे की परछाई वहां किसी क्षण प्रकट होगी। 4 सितंबर से वह अपने बेटे का इंतजार कर रही हैं, लेकिन उनके सपनों की दुनिया धीरे-धीरे धुंधली होती जा रही है। एक बुजुर्ग महिला, जिसे अपनी ज़िन्दगी के अंतिम क्षणों में अपने बेटे के साथ की ज़रूरत है, उसे अकेलेपन की कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है।(Fortis Hospital Jaipur incident)

फोर्टिस अस्पताल का प्रशासन उनके बेटे से संपर्क कर चुका है, लेकिन वह अब भी लौटने को तैयार नहीं है। यह कहानी सिर्फ एक मां की नहीं है, बल्कि उस सामाजिक ध्वंस की है, जहां रिश्ते बिखर जाते हैं और उम्मीदें टूट जाती हैं। क्या एक बेटे की ज़िम्मेदारी सिर्फ जीवन में सफल होने तक ही सीमित है? क्या हमारी बुजुर्ग पीढ़ी की कोई कीमत नहीं है? रवि किरण की यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने अपनों को सिर्फ उनकी जरूरत के समय पर ही याद करते हैं, या फिर हमें उनके प्रति अपने कर्तव्यों का भी एहसास होता है?

89 वर्षीय बुजुर्ग महिला के बेटे की लापरवाही

हॉस्पिटल में 89 वर्षीय बुजुर्ग महिला, रवि किरण जोशी, की हालत देखकर डॉक्टर और स्टाफ ने उसे अपनी मां की तरह अपनाया है। लेकिन अब अस्पताल प्रशासन इस दुविधा में है कि आखिर इस महिला का क्या किया जाए, क्योंकि उसके अन्य परिजनों के बारे में पता नहीं लग पाया है।

भर्ती की कहानी: जब बेटे ने मां को छोड़ा

4 सितंबर को, राजस्थान यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर राहुल जोशी ने अपनी मां को दस्त होने और खाना न खाने के कारण फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। डीलक्स रूम में भर्ती करने के बाद, जब उनका स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें 7 सितंबर को आईसीयू में भर्ती किया गया। आईसीयू में 4 दिन बिताने के बाद जब उनका स्वास्थ्य में सुधार हुआ, तो उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

लापरवाह बेटा: संपर्क करने पर भी नहीं आया

वार्ड में शिफ्ट करने के बाद, हॉस्पिटल ने बेटे से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन राहुल जोशी ने खुद को अकेला बताते हुए अस्पताल नहीं आने का फैसला किया। इसके बाद, अस्पताल के स्टाफ ने उनके दूसरे बेटे, दिल्ली निवासी प्रो. अनुराग जोशी, से भी संपर्क किया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला।

स्टाफ की दया..सुरक्षा गार्ड से लेकर नर्सिंग स्टाफ ने संभाली जिम्मेदारी

जब महिला को लेने कोई नहीं आया, तो अस्पताल के स्टाफ ने उसकी देखभाल शुरू कर दी। डॉक्टर पंकज आनंद और नर्सिंग स्टाफ महिला का ध्यान रखने के लिए दिन में दो बार उसकी स्वास्थ्य जांच करते हैं। सुरक्षा गार्ड भी उसकी देखभाल में जुटे हुए हैं।

थाने में सूचना दी गई… प्रशासन ने अब क्या कदम उठाया?

जवाहर सर्किल के थानाधिकारी विनोद सांखला के अनुसार, फोर्टिस अस्पताल प्रशासन ने थाने में सूचना दी थी। हालांकि, महिला के बेटे राहुल और दिल्ली निवासी अनुराग ने अस्पताल से संपर्क करने की कोशिशों का जवाब नहीं दिया।

यह मामला न केवल एक बेटे की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि एक मां के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी और दायित्व का भी संकेत है।

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