वक्फ एक्ट पर विवाद! कोर्ट में गहराई से उठा वक्फ बाय यूजर का सवाल, हैरान करने वाली दलील!

Waqf Act Waqf By User

Waqf Act Waqf By User: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट को लेकर हुई सुनवाई के दौरान “वक्फ बाय यूजर” शब्द पर तीखी बहस देखने को मिली। अदालत ने 14वीं और 15वीं शताब्दी में बनी मस्जिदों के दस्तावेज़ों के बारे में चिंता जताई, और सवाल उठाया कि इन दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता कैसे स्थापित की जाएगी? हालांकि, यह चिंता अब एक नई बहस का कारण बन गई है। (Waqf Act Waqf By User)सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अगर वक्फ बाय यूजर लागू होता है, तो क्या मंदिर बाय यूजर क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि और ज्ञानवापी जैसे मामले उदाहरण के तौर पर दिए, जहां इस तरह के तर्क का पालन नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट की याचिका सीधे क्यों स्वीकार की गई?

वक्फ एक्ट 2025 पर सुनवाई के दौरान विष्णु शंकर जैन ने यह भी सवाल उठाया कि वक्फ एक्ट की याचिका को सीधे सुप्रीम कोर्ट में क्यों स्वीकार किया गया? उन्होंने कहा कि अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से लेकर काशी और मथुरा के मामलों में पहले जिलों की अदालत में याचिका दायर की जाती थी, फिर प्रक्रिया के तहत मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचते थे। ऐसे में, वक्फ एक्ट से जुड़ी याचिका को सीधे सुप्रीम कोर्ट में क्यों स्वीकार किया गया, यह सवाल अब सबके बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

हाईकोर्ट में क्यों नहीं भेजी गई वक्फ एक्ट की याचिका?

विष्णु शंकर जैन ने वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका क्यों दायर की गई? उन्हें हाईकोर्ट में जाना चाहिए था। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार किया और सुनवाई शुरू कर दी, जिसमें अंतरिम आदेश की बात भी की गई। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पिछले 13 सालों से चार राज्यों में हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, लेकिन अब यह कहा गया है कि इस तरह के मामले हाईकोर्ट में होने चाहिए।

वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर सवाल

विष्णु शंकर जैन ने मीडिया के सामने एक और सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट में यह तर्क दिया जा रहा है कि 14वीं-15वीं शताब्दी की मस्जिदों के दस्तावेज कहां से आएंगे। लेकिन अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों में ऐसा कोई तर्क नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इन मामलों में स्पष्ट सबूत देने पड़े, और अदालत ने इन प्रोटेक्शन की जरूरत को नजरअंदाज किया। ऐसे में अगर वक्फ बाय यूजर को प्रोटेक्शन की जरूरत है, तो मंदिर बाय यूजर और गुरुद्वारा बाय यूजर जैसी धाराएं क्यों नहीं बनाई जा सकतीं?

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