पुलिस की गुंडागर्दी! जयपुर में कांस्टेबल ने धमकाकर मांगे पैसे, अब खुद पहुंचा जेल!

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Rajasthan News: क्या एक मामूली लेन-देन आपको पुलिस के जाल में फंसा सकता है? जयपुर में कुछ ऐसा ही हुआ, जब एक युवक ने OLX से एक कैमरा खरीदा, लेकिन पसंद नहीं आने पर लौटा दिया। इसके बाद कैमरा बेचने वाले ने प्रताप नगर थाने में उसके खिलाफ शिकायत कर दी। (Rajasthan News)मामला छोटा था, लेकिन पुलिस की नीयत बड़ी थी। क्यों पुलिस ने इस मामूली मामले को इतनी गंभीरता से लिया? जवाब था- रिश्वतखोरी।

“चार घंटे का रास्ता है, उठा कर ले जाऊंगा” – कांस्टेबल की धमकी

क्या कानून की रखवाली करने वाली पुलिस ही कानून का सबसे बड़ा दुश्मन बन रही है? प्रताप नगर थाने के कांस्टेबल कन्हैया लाल को इस केस की जांच सौंपी गई। लेकिन जांच से ज्यादा उसकी रुचि 10 हजार रुपए की अवैध वसूली में थी। परिवादी के मुताबिक, कांस्टेबल बार-बार फोन कर धमका रहा था। उसका कहना था- “चार घंटे का रास्ता है, उठा कर ले जाऊंगा।” यह धमकी सुनकर कोई भी डर सकता था। लेकिन इस बार डर के बजाय ACB तक शिकायत पहुंची।

ACB ने कैसे बिछाया जाल?

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कब तेज होगी? परिवादी की शिकायत के बाद एसीबी की टीम ने होली से पहले इसका वेरिफिकेशन किया। जांच में साबित हुआ कि कांस्टेबल कन्हैया लाल वाकई में रिश्वत मांग रहा था। इसके बाद ACB ने उसे रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया। क्यों रिश्वतखोरी करने वाले अधिकारियों को इतनी हिम्मत मिलती है? शायद इसलिए क्योंकि कार्रवाई सिर्फ छोटे अधिकारियों तक ही सीमित रहती है।

थाने के अंदर रिश्वत लेते हुए धरा गया कांस्टेबल

क्या थाने के बाकी अफसरों को इसकी भनक नहीं थी? बुधवार को ACB ने ट्रैप लगाने की योजना बनाई। कांस्टेबल ने परिवादी को थाने में ही बुलाया और अपने रूम में पैसे देने को कहा। जैसे ही परिवादी ने 5 हजार रुपए कांस्टेबल को दिए, उसने नोट अपनी जेब में रखे और उसी पल ACB की टीम अंदर घुसी और उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

2011 बैच का कांस्टेबल, घर पर ताला क्यों लगा था?

क्या भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्तियों की भी जांच होनी चाहिए? कार्रवाई के बाद जब ACB की टीम उसके घर पहुंची तो वहां ताला लटका मिला। टीम ने तत्काल उसके मकान को सील कर दिया। कन्हैया लाल 2011 बैच का पुलिस कांस्टेबल है और जयपुर के लूड़ियावास का रहने वाला है।

क्या यह सिर्फ एक कांस्टेबल तक सीमित मामला है?

भ्रष्टाचार के इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि –

  1. क्या कांस्टेबल अकेले ही यह खेल खेल रहा था, या इसमें बड़े अधिकारी भी शामिल थे?
  2. अगर यह युवक रिश्वत देने को तैयार हो जाता, तो क्या उसका मामला दबा दिया जाता?
  3. पुलिस विभाग में ऐसे कितने और अधिकारी हैं, जो इसी तरह लोगों से पैसे ऐंठते हैं?

भ्रष्टाचार पर कब लगेगी लगाम?

क्या इस कांस्टेबल की गिरफ्तारी के बाद पूरे पुलिस विभाग में सख्ती बढ़ेगी? यह पहली बार नहीं है जब पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सवाल यह है कि क्या अब इस तरह के मामलों पर कड़ी कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? सरकार और पुलिस विभाग को अब सोचना होगा कि क्या केवल छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई करने से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, या फिर पूरी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है?

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