BJP Victory: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं और इस बार बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता में वापसी लगभग तय दिख रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) विपक्ष की भूमिका में सिमटती नजर आ रही है। (BJP Victory)चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस इस बार भी दिल्ली में अपना खाता खोलने में नाकाम रही।
दिल्ली में कांग्रेस का सफाया, राजनीतिक भविष्य पर सवाल
बीते एक दशक में कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है। 2014 के बाद से अब तक हुए 63 विधानसभा चुनावों में से कांग्रेस 48 बार हार चुकी है। दिल्ली में भी पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर बनी हुई है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस का जनाधार लगातार खिसक रहा है। दूसरी ओर, भाजपा की बढ़त दर्शाती है कि दिल्ली की जनता इस बार सत्ता परिवर्तन के मूड में है। यदि वोटों की गिनती का यही रुख जारी रहा, तो भाजपा 27 साल बाद राजधानी में सरकार बनाएगी।
क्या कांग्रेस खुद को बचा पाएगी?
दिल्ली के ये नतीजे कांग्रेस के लिए सिर्फ एक और चुनावी हार नहीं, बल्कि उसके अस्तित्व पर मंडराते संकट का संकेत भी हो सकते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर इस सबसे बड़े राजनीतिक संकट से उबर पाएगी, या फिर पार्टी का गिरता ग्राफ उसे और गहरे संकट में डाल देगा?
लोकसभा में सीटें बढ़ीं, लेकिन राज्यों में साख घटी
2014 में महज 44 और 2019 में 52 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतकर थोड़ी मजबूती जरूर हासिल की। लेकिन यह बढ़त राज्यों के चुनावों में नजर नहीं आई। कांग्रेस को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनावों के नतीजे उसकी वापसी की ओर इशारा करेंगे, मगर इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी कोई बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाई।
हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर के बाद अब दिल्ली में भी हार
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को हरियाणा में बड़ा झटका लगा, जहां वह भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार से सत्ता छीनने में नाकाम रही। महाराष्ट्र में कांग्रेस महज 16 सीटों पर सिमट गई। वहीं, जम्मू-कश्मीर में भी पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली। अब दिल्ली में कांग्रेस की हालत इतनी खराब हो गई कि पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई।
राहुल गांधी की रैलियों का भी नहीं दिखा असर
चुनाव से पहले कांग्रेस ने राहुल गांधी समेत कई बड़े नेताओं की रैलियां करवाईं। लेकिन बड़ी संख्या में जुटी भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो सकी। एक समय दिल्ली की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाली कांग्रेस अब पूरी तरह हाशिए पर जा चुकी है। दिल्ली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनावी राजनीति से बाहर होते दिख रहे हैं।
10 साल में कांग्रेस की 48वीं हार, गिरता ग्राफ बना चिंता का विषय
2014 के बाद से हुए 63 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 48 बार हार चुकी है। इस दशक में पार्टी ने न तो कोई बड़ा राज्य अपने दम पर जीता और न ही राष्ट्रीय स्तर पर खुद को मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर पाई। कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी, नेतृत्व संकट और कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी उसके गिरते ग्राफ के प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
क्या कांग्रेस के लिए 2029 तक हालात और खराब होंगे?
अब सवाल उठ रहा है कि आने वाले वर्षों में कांग्रेस के लिए स्थितियां और बिगड़ेंगी या पार्टी खुद को संभालने में सक्षम होगी। क्या 2029 तक कांग्रेस नेतृत्व में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा या फिर पार्टी लगातार राजनीतिक हाशिए पर जाती रहेगी? कांग्रेस को जल्द ही अपनी रणनीति और नेतृत्व में बदलाव करने होंगे, क्योंकि हर चुनाव में जनता का भरोसा खोना पार्टी के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा कर सकता है।