Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीकर पहुंचे और मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले 12 महीनों में जो स्थिति बनी है, (Rajasthan Politics)उसमें जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन पूरी तरह से सुस्त है और राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
कर्मचारियों और अधिकारियों में बेचैनी का माहौल
राजस्थान में हो रहे तबादलों और उनकी तारीखों में बदलाव के सवाल पर डोटासरा ने कहा कि सरकार ऑक्सीजन पर चल रही है और यह देखना होगा कि कितने दिन यह व्यवस्था कायम रहती है। उन्होंने कहा कि सरकार तबादले कब करने हैं, यह तय नहीं कर पा रही है, जिसके कारण कर्मचारियों और अधिकारियों में बेचैनी बढ़ गई है। यह स्थिति चिंता का विषय बन गई है।
बीजेपी सरकार की नीतियां विफल
डोटासरा ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाया कि जो सरकार पारदर्शिता की बात करती है, वह हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो ट्रांसफर पॉलिसी लाने की बात की थी, वह अब तक लागू नहीं हो पाई है। उल्टा, सरकार उस पॉलिसी की भी धज्जियां उड़ा रही है और छोटे कर्मचारियों को जिले और संभाग से बाहर कर रही है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर लक्ष्मणगढ़ में ग्राम सेवकों की एक लिस्ट का उल्लेख किया, जो नियमों के खिलाफ थी।
“सरकार कानून की धज्जियां उड़ा रही है”
डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार ग्राम सेवकों के तबादले में कानून का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने बताया कि पंचायत समिति के तहत एक ग्राम सेवक का स्थानांतरण वहीं की प्रशासनिक समिति कर सकती है, जबकि राज्य सरकार का किसी ग्राम सेवक का तबादला करना गैरकानूनी है।
“यह पर्ची सरकार, सर्कस जैसी सरकार है”
उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह “पर्ची सरकार” है, और यह एक सर्कस की तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी काबिलियत, पढ़ाई और मेहनत से काम करते हैं और सरकार को उनके काम करने के दिशा-निर्देशों को सही तरीके से लागू करना चाहिए। लेकिन वर्तमान सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है, और यही कारण है कि वह इसे सर्कस के जैसा मानते हैं।
शिक्षा विभाग में सुधार की जरूरत
डोटासरा ने शिक्षा विभाग पर भी सवाल उठाए और कहा कि यहां सुधार की कोई ठोस योजना नहीं है। उन्होंने पंचायत राज मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि वे सरकारी शिक्षा और पंचायती राज सुधार पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि आरएसएस की बैठकें और प्राइवेट स्कूलों की मीटिंग्स में व्यस्त रहते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उन्हें सरकारी शिक्षा और पंचायती राज में सुधार के लिए काम करना चाहिए।