900 Crore Scam: जल जीवन मिशन (जेजेएम) में भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। हाल ही में फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने (900 Crore Scam)अब फर्जी भुगतान के मामलों की गहराई से पड़ताल शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं—ठेकेदार कंपनियों ने बिना फील्ड में काम किए ही करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल कर लिया। इस पूरे षड्यंत्र में जलदाय विभाग के कुछ इंजीनियर भी सवालों के घेरे में हैं, जिन्होंने पाइपलाइनों और टंकियों का मापन और सत्यापन किए बिना फर्जी भुगतान को हरी झंडी दे दी। अब ईडी इस घोटाले की गुत्थियों को सुलझाने के लिए सक्रिय हो गई है।
ईडी ने मांगी ठेकेदारों की सभी जानकारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल को पत्र लिखकर मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी से संबंधित सभी दस्तावेज मांगे हैं। इसमें एनआईटी, टेंडर राशि, किए गए कार्यों की स्थिति और भुगतान से जुड़ी विस्तृत जानकारी शामिल है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की गहराई से जांच कर रही है और हर वर्कऑर्डर के तहत हुए भुगतान और काम की प्रगति की रिपोर्ट भी तलब की है।
900 करोड़ के घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा
जल जीवन मिशन के इस बड़े घोटाले में लगभग 900 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। जांच में सामने आया है कि घोटाले से कमाया गया धन विवादित जमीनों और बेनामी संपत्तियों में लगाया गया। ईडी पहले ही कई प्रॉपर्टी कारोबारियों के यहां छापे मार चुकी है और कई भू-कारोबारियों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
बिना काम किए ठेकेदारों को दिया करोड़ों का भुगतान
वर्कऑर्डर के तहत प्रोजेक्ट के तीन चरणों में भुगतान किया जाता है—70% पाइप खरीदने पर, 20% लाइन बिछाने पर, और 10% पाइपलाइन चालू होने पर। लेकिन जलदाय विभाग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ठेकेदार फर्मों को 70-90% तक भुगतान कर दिया गया, जबकि न तो पाइपलाइन बिछाई गई और न ही पाइप मौके पर उपलब्ध थे।
ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है
ईडी अब उन सभी फर्जी लेन-देन की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे हैं। जल जीवन मिशन के इस घोटाले ने सिस्टम में मौजूद खामियों को उजागर कर दिया है, और जांच के साथ-साथ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।