CJI चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट का अल्टीमेटम: तुरंत खाली करो बंगला, संवैधानिक मर्यादा दांव पर!

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Supreme Court

Supreme Court: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई. चंद्रचूड़ से तत्काल सरकारी बंगला खाली कराने की मांग की है। (Supreme Court)यह बंगला 5, कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित है और विशेष रूप से वर्तमान CJI के लिए निर्धारित है।

31 मई के बाद भी रह रहे हैं पूर्व CJI

1 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने शहरी विकास मंत्रालय (MoHUA) को पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि CJI चंद्रचूड़ की अनुमति अवधि 31 मई 2025 को समाप्त हो गई थी। नियमानुसार नियम 3बी के तहत छह महीने की वैधानिक सीमा भी 10 मई 2025 को पार हो चुकी है। अब बंगले को सुप्रीम कोर्ट के हाउसिंग पूल में वापस जोड़े जाने की मांग की गई है।

नया बंगला तैयार नहीं होने से मचा गतिरोध

पूर्व CJI को नियमों के अनुसार टाइप VII बंगला (14, तुगलक रोड) आवंटित किया गया था, लेकिन GRAP-IV प्रदूषण नियंत्रण नियमों के चलते वहां मरम्मत रुक गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 30 अप्रैल 2025 तक कृष्ण मेनन मार्ग में रहने की अनुमति मांगी थी। मंत्रालय ने उन्हें ₹5,430 मासिक किराए पर यह अनुमति दी थी।

नियम तोड़ने की नहीं है मंशा: चंद्रचूड़

पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं अपने दायित्वों को अच्छी तरह समझता हूं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करना चाहता। मेरी दो बेटियों को विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है, जिनका इलाज एम्स में चल रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि नया आवास अभी भी मरम्मताधीन है और वह जल्द ही स्थानांतरण कर लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया कड़ा रुख

पत्र में स्पष्ट किया गया कि CJI चंद्रचूड़ को अंतिम रूप से मई के अंत तक रुकने की छूट दी गई थी। अब समयसीमा पार हो चुकी है, इसलिए बंगले को तत्काल सुप्रीम कोर्ट के अधीन लेने की मांग की गई है। यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI को पत्र भेजकर बंगला खाली करने को कहा है।

“बस कुछ ही दिनों की बात है”

पूर्व CJI ने कहा, “मैंने 28 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर 30 जून तक विस्तार मांगा था। मैं पूरी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है और मैं जल्द ही नया घर ले लूंगा।” यह मामला भारत में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच पारदर्शिता, नियमों के पालन और संस्थागत शुचिता की एक नई मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।

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