Shri Saket Panchang Bundi: राजस्थान में दीपावली पर्व के शुभ अवसर को लेकर धार्मिक गणना और पंचांगों की शास्त्रीय व्याख्या पर आधारित गहन मंथन के बाद इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त 1 नवंबर 2024, शुक्रवार को रखा गया है।(Shri Saket Panchang Bundi ) श्री साकेत पंचांग समिति ने इस निर्णय को सर्वसम्मति से स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि इस बार चतुर्दशी और अमावस्या के संयोग के कारण प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त समय 1 नवंबर को ही रहेगा।
बूंदी में साकेत पंचांग समिति का निर्णय सर्वसम्मति से स्वीकार
राजस्थान के बूंदी जिले में श्री साकेत पंचांग समिति द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का त्योहार 1 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। समिति के संपादक पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा ने इस तिथि का ऐलान करते हुए इसे शास्त्रसम्मत बताया। उनके अनुसार, इस बार चतुर्दशी और अमावस्या के ग्रहण के कारण 1 नवंबर को प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन करना सर्वथा उचित रहेगा।
31 अक्टूबर के बजाय 1 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन क्यों?
धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस वर्ष 31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोषकाल में अल्पकाल है जबकि 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। धर्मसिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि, तिथिनिर्णय और व्रतपर्व विवेक जैसे शास्त्रों में वर्णित वचनों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि जब दो दिन अमावस्या के लिए मौजूद हों, तो प्रदोषकाल के अल्पकाल में नहीं बल्कि पर्याप्त समय में पूजन करना शुभ होता है।
राजकीय अवकाश का ऐलान, कर्मचारियों के लिए चार दिन की छुट्टी
राजस्थान सरकार ने 1 नवंबर को दीपावली के उपलक्ष्य में राजकीय अवकाश घोषित किया है। अब कर्मचारी 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक चार दिनों का अवकाश प्राप्त कर सकेंगे। राजस्थान सचिवालय फोरम और कर्मचारी संगठनों द्वारा मुख्य सचिव सुधांश पंत से यह मांग की गई थी कि दीपावली की तिथि पंचांगों के अनुसार संशोधित की जाए। इसी आधार पर यह फैसला लिया गया है।
दीपावली तिथि को लेकर प्रमुख पंचांगों की राय
राजस्थान सहित देशभर के कई प्रमुख पंचांगों के विद्वानों ने इस वर्ष दीपावली के लिए 1 नवंबर को ही उचित माना है। श्री साकेत पंचांग के अतिरिक्त अन्य पंचांग जैसे भागीरथ जोशी (नीमच), डॉ. अशोक शर्मा (बद्रिकाशी पंचांग, म.प्र.), विद्याधर करंदीकर (कालनिर्णय पंचांग, मुंबई), दाते पंचांग (सोलापुर, महाराष्ट्र), तथा पुष्पांजली पंचांग (भोपाल, म.प्र.) सहित अन्य विद्वानों ने 1 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन का सही समय बताया है।
पुराने निर्णयों का हवाला
पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा ने यह भी बताया कि 28 अक्टूबर 1962, 17 अक्टूबर 1963, और 2 नवंबर 2013 को भी इसी प्रकार से अमावस्या प्रदोष में अल्पकाल के कारण मुख्य पूजन अगले दिन रखा गया था। यह शास्त्रीय निर्णय पुराने पंचांगों और शास्त्रों पर आधारित है, जिसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय इस वर्ष भी लागू किया गया है।
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