Garasia tribe: “राजस्थान के गांव में छिपा है लिव-इन का अनकहा सच: क्या आप जानना चाहेंगे?

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Liv-in culture

Women empowerment: भारत में आम धारणा है कि शहरी जीवन में विकास और आधुनिकता का बोलबाला है, जबकि ग्रामीण इलाकों को पीछे माना जाता है। लेकिन राजस्थान के कुछ गांव, विशेष रूप से गरासिया जनजाति, इस विचार को पूरी तरह से चुनौती देते हैं। यहां के लोग शहरों की आधुनिकता को अपने अनोखे कल्चर के जरिए मात दे रहे हैं।

लिव इन: एक सदियों पुरानी परंपरा

गरासिया जनजाति में लिव इन रहना सामान्य है। महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के अपने पसंदीदा साथी का चयन कर सकती हैं, और जब वे गर्भवती होती हैं, तब विवाह का बंधन बंधता है। इस परंपरा ने महिलाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण और स्वतंत्रता का एहसास दिलाया है।

गौर मेला: साथी चुनने का खास अवसर

हर साल गरासिया जनजाति गौर मेले का आयोजन करती है, जहां महिलाएं अपने लिए मनचाहा साथी चुनती हैं। इस मेले में भाग लेने वाली महिलाएं अपने जीवनसाथी का चयन खुले दिल से करती हैं, और उनके परिवार वाले उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान करते हैं।

प्रेग्नेंसी के बाद की शादी: एक अनूठा नियम

अगर कोई महिला लिव इन में रहते हुए गर्भवती हो जाती है, तो उसे विवाह करना पड़ता है। यह अनोखा नियम पारिवारिक जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करता है और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है।

महिलाओं की प्राथमिकता: गरासिया की अनोखी संस्कृति

गरासिया जनजाति में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है। वे अपने फैसले खुद लेती हैं, जो इस समाज को एक विशेष पहचान देता है। यह संस्कृति न केवल पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखती है, बल्कि महिलाओं को भी अपने जीवन में आगे बढ़ने का मौका देती है।

शहरी संस्कृति को चुनौती: क्या गरासिया की परंपरा है भविष्य?

इस तरह की अनोखी परंपराएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या शहरी जीवन की आधुनिकता वास्तव में सब कुछ है? गरासिया जनजाति के लोग अपने अधिकारों और स्वतंत्रता को लेकर एक नई सोच को जन्म दे रहे हैं, जो शहरी जीवन को एक नई दृष्टि प्रदान कर सकती है।

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