Public Examination Act: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने आरएएस भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले(RAS recruitment paper leak case) में सख्त कदम उठाते हुए राज्य में भूचाल ला दिया है। जैसे-जैसे विधानसभा उपचुनाव का समय नजदीक आ रहा है, भाजपा ने इसे अपने चुनावी अभियान का महत्वपूर्ण मुद्दा बना लिया है। इसी क्रम में, CM Bhajanlal Sharma ने सरकार में आते ही पेपर लीक से प्रभावित भर्तियों की गहराई से जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
पहले गिरफ्तारी और अब बर्खास्तगी का दौर शुरू हो चुका है। सीएम भजनलाल के निर्देश पर आरएएस भर्ती परीक्षा के आरोपी व्याख्याता को बर्खास्त किया गया है। इसके साथ ही, राज्य सेवा के कई अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी प्रक्रिया शुरू की गई है।
बर्खास्तगी के साथ वेतन रोकने का सख्त संदेश:
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखने के लिए कार्रवाई जारी है, ताकि युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ न हो सके।
उन्होंने कहा, “पहले जिन परीक्षाओं में पेपर लीक हुए, उनमें युवाओं के सपने टूट गए हैं। हम इस मामले को लेकर गंभीर हैं।” एसआई, पटवारी और अन्य भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की जांच स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है। इसी के तहत आरएएस प्रारंभिक परीक्षा 2013 में लीक करने वाले आरोपी व्याख्याता को बर्खास्त किया गया है, यह कदम राजकीय सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों पर रोक) अधिनियम 1992 के तहत उठाया गया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कार्रवाई:
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018(Anti-Corruption Amendment Act, 2018) की धारा 17-ए के तहत जल जीवन मिशन मामले में 12 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी है। साथ ही, उन्होंने सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ नियम 16 सीसीए में अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया को भी गति दी है, जिससे सेवारत अधिकारियों की वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय लिया गया है।
राजस्थान सरकार की ओर से उठाए गए ये ठोस कदम यह दर्शाते हैं कि वह भर्ती प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि युवा बिना किसी धोखाधड़ी के अपने सपनों को पूरा कर सकें, सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।