Ramdas Athawale: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी दल अपने गठजोड़ को मजबूत करने और नए समीकरण बनाने में जुटे हुए हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के प्रमुख रामदास आठवले ने(Ramdas Athawale) बिहार में एनडीए को समर्थन देने का ऐलान किया है। आठवले ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी और पूरी ताकत से एनडीए को समर्थन देगी।
इसके अलावा, उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक और आरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर भी अपनी राय रखी, जिससे बिहार की सियासत में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
“RPI बिहार में NDA का हिस्सा रहेगी”
रामदास आठवले ने कहा कि वह बिहार के चुनावी माहौल को समझने के लिए तीन दिन के दौरे पर आए हैं। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी बिहार में किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी और पूरी मजबूती से एनडीए के साथ खड़ी रहेगी। “मैं बिहार में अपने कार्यकर्ताओं से बात कर रहा हूं और उन्हें निर्देश दूंगा कि हमारी पार्टी एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी। हम पूरी ताकत से एनडीए के लिए काम करेंगे और उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।”
नीतीश कुमार को दिया समर्थन का भरोसा
रामदास आठवले ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें समर्थन देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए की जीत के लिए वह खुद चुनाव प्रचार करेंगे और भाजपा-जदयू गठबंधन को मजबूत करने में पूरा योगदान देंगे। “मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आश्वस्त किया है कि मेरी पार्टी पूरी तरह से एनडीए के साथ रहेगी। बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी और मैं खुद यहां चुनावी प्रचार करने के लिए आऊंगा।”
आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की वकालत
रामदास आठवले ने बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 65% आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए और इसे लागू करने के लिए विशेषज्ञों की राय लेना जरूरी है।
“आरक्षण का मुद्दा मेरे मंत्रालय के अंतर्गत आता है। एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने से पहले एक एक्सपर्ट कमेटी की राय लेनी होगी। लेकिन मैं यह भरोसा दिलाता हूं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनाएगी।”
वक्फ संशोधन विधेयक पर बयान, “राजनीति न करें विपक्ष”
रामदास आठवले ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चल रही राजनीति पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक आम मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा किए बैठे हैं। “वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अनावश्यक राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह बिल आम मुसलमानों के हित में है और उनके लिए फायदेमंद साबित होगा। इस विधेयक के लागू होने से वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल हो सकेगा और इसका फायदा समाज को मिलेगा।”
एनडीए के लिए दलित और पिछड़े वोटों की गोलबंदी
रामदास आठवले के इस ऐलान से एनडीए को दलित और पिछड़े वर्गों के वोटों को साधने में मदद मिल सकती है। बिहार में दलित और महादलित समुदाय का बड़ा वोट बैंक है, और आठवले की पार्टी का प्रभाव खासतौर पर महार दलित समुदाय पर अधिक देखा जाता है।
अगर RPI पूरी तरह से NDA के समर्थन में रहती है, तो भाजपा-जदयू गठबंधन को दलित वोटों की गोलबंदी में सीधा फायदा मिलेगा। बिहार के पिछले विधानसभा चुनावों में एनडीए को दलित वोटों का काफी समर्थन मिला था, और इस बार भी आठवले के समर्थन से यह वोट बैंक मजबूत रह सकता है।
बिहार में चुनावी समीकरण कैसे बदलेंगे?
रामदास आठवले के इस ऐलान के बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण और दिलचस्प हो गए हैं। जहां एनडीए अपने सहयोगियों को एकजुट करने में लगा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन भी दलित और पिछड़े वर्गों को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
बिहार में एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई पहले से ही कड़ी हो चुकी है, और रामदास आठवले का यह ऐलान इस लड़ाई को और रोचक बना सकता है। चुनाव नजदीक आते ही इस तरह के और गठबंधन देखने को मिल सकते हैं और बिहार की राजनीति में कई और नए मोड़ आ सकते हैं।