Naharghar incident: जयपुर, नाहरगढ़ में हाल ही में एक युवक आशीष (Naharghar incident)की लाश मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। इस घटना के बाद उसका भाई राहुल अब भी लापता है, जिससे स्थानीय लोगों में चिंता और संदेह की लहर दौड़ गई है। पुलिस ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए अब तक का सबसे बड़ा सर्च अभियान शुरू कर दिया है। हैलीकॉप्टर और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए पुलिस राहुल की तलाश कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस मामले में न केवल नाहरगढ़, बल्कि उसके आसपास के क्षेत्रों में भी तलाश जारी है।
नशे की समस्या: नाहरगढ़ में बढ़ते अपराध
नाहरगढ़ किला, जो पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है, पिछले कुछ वर्षों में नशेबाजों का गढ़ बन गया है। नाहरगढ़ की पहाड़ियों और जंगलों ने अपराधियों को अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक सुरक्षित ठिकाना प्रदान किया है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि नशे की बढ़ती समस्या ने न केवल क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी इसे असुरक्षित बना दिया है।
स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या को हल्के में लिया, लेकिन अब यह स्थिति गंभीर होती जा रही है। पिछले एक दशक में नाहरगढ़ किले और उसके आसपास के क्षेत्रों में नशे की गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है।
पुलिस की कार्रवाई और नशे का व्यापार
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2022 तक नाहरगढ़ में नशे से संबंधित अपराधों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई है। खासकर मादक पदार्थों जैसे चरस, गांजा, और अफीम की तस्करी में तेजी आई है। नाहरगढ़ के जंगलों ने अपराधियों और नशेबाजों के लिए एक सुरक्षित अड्डा बना दिया है, जहां पुलिस की निगरानी मुश्किल हो जाती है।
2010 के आसपास, नाहरगढ़ के जंगलों में नशे की गतिविधियों का पहला बड़ा मामला सामने आया। इसके बाद 2015 में एक बड़े नशे के रैकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसने नशे की तस्करी को संगठित अपराध के रूप में उभारा।
आशीष और राहुल का मामला: एक नए कोण की तलाश
आशीष की मौत और राहुल की गुमशुदगी की जांच में पुलिस नशे के मामलों की भूमिका को भी देख रही है। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दोनों युवक नशेबाजों की संगत में थे। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि आशीष और राहुल का संपर्क किस-किससे था और वे किस गिरोह से जुड़े हुए थे।
पड़ोसियों का कहना है कि परिवार का किसी के साथ झगड़ा नहीं था, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या दोनों युवक किसी नशेबाज गिरोह का शिकार बन गए। शास्त्रीनगर में नशे के तलबगार रात के समय सक्रिय हो जाते हैं और पुलिस की पकड़ से बच जाते हैं।
प्रशासन का प्रयास: सुरक्षा के लिए नई योजनाएं
जयपुर पुलिस अब नाहरगढ़ के जंगलों से बाहर निकलकर इस मामले में नए पहलुओं की तलाश कर रही है। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन निगरानी की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन कार्यान्वयन अभी भी चुनौतीपूर्ण है।
हालांकि, नशे की बढ़ती गतिविधियों के कारण पुलिस की निगरानी में कठिनाइयाँ आ रही हैं। स्थानीय गिरोहों और बाहरी तस्करों के बीच गठजोड़ ने इस क्षेत्र को नशे के व्यापार के लिए एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में स्थापित कर दिया है।
पुलिस की प्रतिष्ठा दांव पर
जयपुर पुलिस अब राहुल की खोज को अपने लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मान रही है। यह मामला न केवल राहुल की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि पुलिस की साख पर भी असर डाल सकता है। आशीष और राहुल की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझाना अब पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस ने कुछ संदिग्धों पर नजरें रखी हैं, क्योंकि नाहरगढ़ की पहाड़ियों में छुपे इस रहस्य को सुलझाना आवश्यक हो गया है।