S-400 बना दुश्मनों का काल, भारत की सीमा अब लोहे की दीवार – घुसपैठ का सवाल ही नहीं!

6
S-400

S-400 : पाकिस्तान को उसकी ही ज़ुबान में जवाब देने वाले ऑपरेशन सिंदूर ने एक बात तो साफ कर दी – भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि दुश्मन के घर में घुसकर जवाब देता है। इस हाई-टेक जवाबी कार्रवाई में सबसे ज़्यादा ध्यान खींचने वाला पहलू था (S-400)भारत का एयर डिफेंस कवच – S-400 ट्रायम्फ। अब रूस ने भी साफ कर दिया है कि भारत को 2025-26 तक इसकी बाकी दो यूनिट्स सौंप दी जाएंगी।

राजस्थान जैसा ‘हवाई किला’ बना रहा भारत

जिस तरह इतिहास में मेहरानगढ़ किला अपनी सुरक्षा के लिए मशहूर था, उसी तरह S-400 भारत की वायुसीमा को ऐसा अभेद्य किला बना रहा है, जिसे भेदना किसी भी दुश्मन के लिए नामुमकिन होगा। रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुश्किन ने कहा कि सिस्टम की अंतिम दो यूनिट्स तय समय में भारत को सौंप दी जाएंगी।

300 से ज्यादा ड्रोन हुए फेल

बीते मई में भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव उभरा, उसमें पाकिस्तान ने 300-400 ड्रोन के जरिए भारत पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन S-400 और स्वदेशी आकाशतीर सिस्टम ने एक भी हमले को सफल नहीं होने दिया। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत की वायु रक्षा रणनीति की एक ऐतिहासिक जीत थी।

भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर (करीब 35,000 करोड़ रुपये) की डील साइन की थी। अब तक तीन यूनिट्स भारत को मिल चुकी हैं, जिनकी तैनाती पंजाब और अन्य रणनीतिक इलाकों में की गई है। यह सिस्टम एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को भेद सकता है – चाहे वो ड्रोन हो, लड़ाकू विमान हो या मिसाइल।

S-400: जिसे दुनिया कहती है ‘सुदर्शन चक्र’

भारत में S-400 को ‘सुदर्शन चक्र’ कहा जाता है – और ये नाम यूं ही नहीं पड़ा। इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक है, और ये 600 किलोमीटर दूर से ही खतरों को पहचान सकता है। पाकिस्तान के किसी भी एयरबेस से दागे गए मिसाइल या ड्रोन इससे छुप नहीं सकते।

बाबुश्किन ने यह भी कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी आज सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत और रूस मिलकर इससे निपटने की तैयारी कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच संयुक्त उत्पादन और रिसर्च पर बातचीत चल रही है, जिससे भविष्य की चुनौतियों से और बेहतर तरीके से निपटा जा सके।

रक्षा में नई ऊंचाइयों की ओर भारत

खास बात यह है कि रूस ने भारत को अपना अगली पीढ़ी का S-500 सिस्टम भी संयुक्त रूप से विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। यह मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी में एक नई क्रांति होगी, जो भारत को वैश्विक सुपरपावर की दिशा में और मजबूत करेगी।

जब भारत ने यह डील की थी, तब अमेरिका ने CAATSA कानून के तहत प्रतिबंधों की धमकी दी थी। लेकिन भारत ने साफ कर दिया था – राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा। तत्कालीन रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति पर जोर दिया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here