Madan Dilawar: दिलावर का नया ऐलान… इस महीने से शुरू होंगे टीचर्स के तबादले, जानें क्या है कारण!

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Madan Dilawar

Madan Dilawar: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बालोतरा में दौरे के दौरान शिक्षकों के तबादलों पर रोक का कारण बताया। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया, अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं, (Madan Dilawar)विधानसभा सत्र और बोर्ड परीक्षाओं के चलते तबादलों में देरी हुई है। अब 15 मार्च के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से चर्चा कर इस समस्या का समाधान किया जाएगा।

क्या तबादले इस समय होना चाहिए थे?

मदन दिलावर ने स्पष्ट किया कि चुनाव और बोर्ड परीक्षाओं के दौरान तबादले करना उचित नहीं था। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग का यह फैसला सही था और अब शिक्षकों की समस्याओं का हल जल्द निकाला जाएगा।

तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर 7 साल से रोक

राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर पिछले 7 वर्षों से रोक है। वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, और प्रिंसिपल के तबादले भी 2 साल से रुके हुए हैं। इस स्थिति से लगभग 4 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण यह मुद्दा विवाद का रूप ले चुका है।

शिक्षक संगठनों का विरोध

तबादलों पर लगी रोक के खिलाफ शिक्षक संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद दो बार रोक हटाई, लेकिन शिक्षा विभाग को इससे बाहर रखा गया।

लंबित आवेदन और अधूरी तबादला नीति

अगस्त 2021 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 85,000 तबादला आवेदन मांगे गए थे, लेकिन आज तक इन पर कोई फैसला नहीं हुआ। कांग्रेस और भाजपा सरकार दोनों ने तबादला नीति बनाने की बात कही, लेकिन अब तक कोई ठोस नीति लागू नहीं की गई है।

शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की संख्या

राजस्थान के शिक्षा विभाग में कुल 5,67,668 कर्मचारी हैं, जिनमें से 3,70,273 शिक्षक हैं। इनमें 1,85,030 ग्रेड थर्ड शिक्षक शामिल हैं।

डीपीसी प्रक्रिया और कर्मचारियों का हक

मदन दिलावर ने डीपीसी प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में लंबित डीपीसी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है, और पंचायती राज विभाग में भी यह जल्द शुरू होगी।

कांग्रेस सरकार पर हमला

शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार की बजाय जनता को भ्रमित किया। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने बच्चों को अनपढ़ रखने की साजिश की और नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने के बजाय केवल नाम के बोर्ड लगाए। शिक्षा मंत्री के इस बयान से शिक्षक समुदाय को थोड़ी राहत की उम्मीद हो सकती है। अब देखना होगा कि 15 मार्च के बाद इस मुद्दे पर सरकार क्या कदम उठाती है।

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