टोंक थप्पड़ कांड फिर सुर्खियों में, ग्रामीणों ने प्रशासनिक जांच पर जताया अविश्वास, न्यायिक जांच की उठी मांग

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Naresh Meena Slap Case

Naresh Meena Slap Case : टोंक के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए थप्पड़ कांड (Naresh Meena Slap Case ) का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस उपद्रव की जांच के लिए सरकार ने संभागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। शुक्रवार को वह ग्रामीणों का पक्ष सुनने उनियारा पहुंचे, जहां SDM कार्यालय में जनसुनवाई आयोजित की गई। हालांकि, इस जनसुनवाई में मात्र सात-आठ ग्रामीण ही पहुंचे और उन्होंने भी प्रशासनिक जांच को लेकर असंतोष जता दिया।

ग्रामीणों ने जताया अविश्वास, मांगी न्यायिक जांच

संभागीय आयुक्त को ग्रामीणों ने एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि उन्हें पुलिस और प्रशासन पर भरोसा नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक जांच निष्पक्ष नहीं होगी और इस मामले की न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। इस दौरान ADM रामरतन सौकरिया और SDM शत्रुघ्न गुर्जर भी मौजूद रहे। ग्रामीणों के इस असंतोष के चलते थप्पड़ कांड और उसके बाद हुए उपद्रव का मामला फिर से गरमाता दिख रहा है।

क्या है समरावता का थप्पड़ कांड?

टोंक के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दौरान वोटिंग के समय निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना ने SDM को थप्पड़ जड़ दिया था। नरेश मीना का आरोप था कि ग्रामीणों ने वोटिंग का बहिष्कार किया हुआ था, मगर SDM जबरन वोट डलवा रहे थे। इस घटना के बाद पुलिस ने नरेश मीना को गिरफ्तार किया, जिसके विरोध में गांव में हिंसा भड़क गई। इस उपद्रव में आगजनी और तोड़फोड़ भी हुई।

नरेश मीना अभी जेल में, ग्रामीणों की मांग बरकरार

इस मामले में नरेश मीना अभी भी जेल में बंद हैं, जबकि सरकार ने उपद्रव की प्रशासनिक जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन ग्रामीणों को प्रशासनिक जांच पर भरोसा नहीं है और वे अब न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। प्रशासनिक जांच को लेकर असंतोष के बाद अब यह मामला और तूल पकड़ सकता है।

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