spiritual wisdom: “साधारण व्यक्ति जीवन में घटनाएँ देखता है, ज्ञानी व्यक्ति उन घटनाओं में छिपे कारण और परिणाम को देखता है।(spiritual wisdom) साधारण व्यक्ति प्रतिक्रिया करता है, ज्ञानी व्यक्ति उत्तर देता है – शांति और विवेक के साथ।”
ज्ञानी कौन होता है?
ज्ञानी वह नहीं जो शास्त्रों को रटता है,
बल्कि वह है जो जीवन के शास्त्र को जी जाता है।
ज्ञानी वह नहीं जो कठिन शब्दों में बोलता है,
बल्कि जो सत्य को सहज बना दे, वह ज्ञानी है।
वह केवल पढ़ा-लिखा नहीं होता,
बल्कि समझा हुआ और आत्मसात किया हुआ व्यक्ति होता है।
साधारण और ज्ञानी में अंतर कहाँ है?
साधारण व्यक्ति मन से चलता है…जहाँ इच्छाएँ हैं, द्वंद हैं, लालच है, और भय है। ज्ञानी बुद्धि से नहीं, विवेक से चलता है — जहाँ निर्णयों में मर्यादा, संतुलन, और धैर्य होता है।
मन कहता है — “यह चाहिए!”
बुद्धि कहती है — “यह कैसे मिलेगा?”
विवेक कहता है — “क्या यह वास्तव में आवश्यक है?”
मन, बुद्धि और विवेक — तीनों की त्रयी में कौन कैसे जिए?
मन — चंचल है, भटकता है, कामना करता है।
बुद्धि — विश्लेषण करती है, तर्क देती है, सही-गलत समझती है।
विवेक — निर्णय करता है, और उस निर्णय में धर्म, न्याय और समय की समझ सम्मिलित करता है।
ज्ञानी वह है —जो मन को आज्ञा देता है, बुद्धि को मार्ग देता है, और विवेक को आधार बनाता है।
ज्ञानी की विशेषता क्या है?
1. वह प्रतिक्रिया नहीं करता — उत्तर देता है।
2. वह भीड़ का हिस्सा नहीं बनता — दिशा देता है।
3. वह मतभेद को विवाद नहीं बनने देता — संवाद में बदल देता है।
4. वह सत्य की खोज में रहता है — न कि किसी की स्वीकृति में।
5. वह ‘जानता है कि वह कितना नहीं जानता’ — यह उसका सबसे बड़ा ज्ञान है।
तो फिर साधारण व्यक्ति सोच क्यों नहीं पाता वही जो ज्ञानी सोच लेता है?
क्योंकि साधारण व्यक्ति
या तो भीड़ में खोया होता है,
या अपनी इच्छाओं में बहा होता है।
वह समय नहीं देता सुनने, सोचने और ठहरने को।
ज्ञानी वही करता है —
वह सुनता है, सोचता है और फिर मौन में उतरकर सत्य को देखता है।
जहाँ सामान्य व्यक्ति समस्या को देखता है, वहीं ज्ञानी समस्या में अवसर को देखता है।
ज्ञानी और वर्तमान समाज
आज का समाज त्वरित उत्तर चाहता है — ज्ञानी धीमे उत्तर देता है, लेकिन वो उत्तर स्थायी होते हैं।
आज का समाज सोशल मीडिया पर रिएक्शन चाहता है —
ज्ञानी मौन से क्रांति लाता है।
आज की दुनिया बहस से हावी है —
ज्ञानी प्रश्नों में शांति खोजता है।
उदाहरण से समझें – बुद्ध और एक साधारण व्यक्ति
जहाँ साधारण व्यक्ति दुख में कहता है — “क्यों हुआ मेरे साथ?”
बुद्ध कहते हैं — “दुख क्यों होता है? और उससे कैसे मुक्त हुआ जाए?”
यह अंतर है व्यक्तिगत पीड़ा और सार्वभौमिक दृष्टिकोण का।
ज्ञानी कौन? एक पंक्ति में उत्तर:
“ज्ञानी वह है जो जानता है कि कब, क्या, कैसे, और कितना कहना है – और कब चुप रह जाना ही सबसे बड़ा उत्तर है।” साधारण व्यक्ति जीवन से लड़ता है, ज्ञानी जीवन को स्वीकार करता है। साधारण व्यक्ति सफल होना चाहता है,
ज्ञानी सार्थक होना चाहता है। ज्ञानी कोई चमत्कारी नहीं होता…वह बस अपने मन पर शासन करने की विद्या जानता है और यही विद्या मनुष्य को साधारण से असाधारण बनाती है। “ज्ञान वह दीपक है जो बाहर की दुनिया नहीं, हमारे भीतर की अंधकार को दूर करता है।”
हेमराज तिवारी