नागौर का जोधियासी गांव फिर तनाव में! दो महीने के प्रतिबंध, भारी पुलिस तैनाती… क्या है पूरा मामला?

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Jodhiyasi Statue Row

Jodhiyasi Statue Row: नागौर के जोधियासी गांव में बिना अनुमति महाराजा सूरजमल की प्रतिमा लगाने के बाद भड़के विवाद के 24 घंटे बीतने के बावजूद तनाव कम नहीं हुआ है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए SDM ने इलाके में दो महीने के लिए धारा 163 लागू कर दी है, (Jodhiyasi Statue Row)जिसके तहत जुलूस, भीड़ और हथियारों पर पूरी तरह रोक रहेगी।

क्या हुआ था?

नागौर जिले के जोधियासी गांव में सोमवार देर रात विवादित बस अड्डा चौराहे पर बिना अनुमति महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापित कर दी गयी। यह कदम दो स्थानीय समूहों के बीच तनाव का कारण बन गया और अगले दिन दोनों पक्षों के बीच झड़प व पथराव तक की नौबत आ गई। एक पक्ष ने कहा कि वे प्रतिमा से नहीं बल्कि उसे सार्वजनिक स्थान पर लगाने के विरोध में हैं और उसे किसी अन्य स्थान पर रखने की मांग कर रहे हैं, जबकि दूसरे पक्ष ने ग्राम सभा की मंजूरी होने का दावा किया।

 किन गतिविधियों पर प्रतिबंध?

स्थानीय SDM के आदेश के अनुसार अब इलाके में निम्नलिखित गतिविधियाँ अगले दो महीने के लिए प्रतिबंधित रहेंगी:

  • एक साथ 5 से अधिक लोगों का सार्वजनिक इकट्ठा होना।
  • बिना अनुमति जुलूस निकालना, सभाएँ बुलाना या भीड़-भाड़ वाली किसी भी गतिविधि का आयोजन।
  • लाउडस्पीकर का उपयोग व सार्वजनिक रूप से भड़काऊ संदेश, पोस्टर या अफवाह फैलाना।
  • हथियार जैसे राइफल, रिवॉल्वर, पिस्तौल, चाकू, तलवार, भाला, लाठी आदि लेकर सार्वजनिक स्थानों पर चलना।

आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। आदेश सुरक्षा बल, पुलिस, होमगार्ड, जेल सुरक्षा व सरकारी कर्तव्यों में लगे कर्मियों पर लागू नहीं है।

प्रशासन की कार्रवाई व सुरक्षा बंदोबस्त

घटना के बाद नौ थानों की पुलिस, राजस्थान सशस्त्र बल (RAC) और त्वरित प्रतिक्रिया बल (QRT) की कंपनियाँ मौके पर भेजी गयीं; जिला कलेक्टर व वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद रहे। पुलिस निरंतर गश्त कर रही है और दोनों पक्षों के साथ वार्ता कर स्थायी समाधान खोजने के प्रयास जारी हैं। प्रशासन ने संबंधित थानों व राजस्व अधिकारियों को आदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है ताकि किसी भी शख्स की अनभिज्ञता को बहाना न बनाया जा सके। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह विवाद पिछले लगभग एक साल से चल रहे स्थानीय तकरारों का नतीजा है, जो धीरे-धीरे उग्र होता गया। प्रतिमा को सार्वजनिक जगह पर स्थापित करने के निर्णय ने मौजूदा खटास को हिंसक शक्ल दे दी। प्रशासन दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है ताकि शांति बहाल रहे।

 

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