Rajnath Singh: VSHFA कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि सिंध का सभ्यतागत संबंध भारत से हमेशा रहा है; सिंध के लोग हमारे अपने हैं, सीमाएँ बदली जा सकती हैं।
क्या कहा गया
- रक्षा मंत्री ने याद दिलाया कि 1947 के बंटवारे के बाद सिंध प्रांत पाकिस्तान में चला गया था और वहां से कई सिंधी भारत आए।
- उन्होंने कहा कि सिंधु नदी को हिंदुओं ने पवित्र माना है और कई मुसलमान भी सिंधु के जल को पवित्र मानते थे—यह सभ्यतागत साझेदारी की ताकत को दर्शाता है।
- राजनाथ सिंह ने प्रत्यक्ष कहा कि जमीन व सीमा बदलाव संभव हैं और ऐसा कभी भी भविष्य में हो सकता है; सिंध के लोग चाहे जहाँ हों, वे ‘हमारे अपना’ रहेंगे।
- उनके इस बयान पर कार्यक्रम में ताली बजकर समर्थन जताया गया।
सन्दर्भ
सिंधु नदी और सिंध क्षेत्र का जिक्र 1947 के बंटवारे तथा उस समय हुए जनसंक्रांति-आधारित विस्थापन से जुड़ा संवेदनशील विषय है। ऐसे वक्तव्य क्षेत्रीय राजनैतिक और कूटनीतिक संवेदनशीलता उत्पन्न कर सकते हैं। रक्षा मंत्री के भावनात्मक शब्दों ने आयोजन में भारी समर्थन पाया, लेकिन इस तरह के बयान विदेश नीति और द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में व्यापक चर्चा पैदा कर सकते हैं।
यह तरह के बयान आम तौर पर मीडिया और कूटनीतिक पटल पर बहस का विषय बनते हैं—विशेषकर तब जब वे किसी सीमांत क्षेत्र या पड़ोसी देश की संप्रभुता से जुड़े भावनात्मक दावों की तरफ संकेत करते हों। आधिकारिक नीतिगत परिवर्तन या सीमाओं से जुड़े कोई कदम कानूनी तथा कूटनीतिक प्रक्रियाओं के अधीन होते हैं और उनके लिये शुरुआत में ही कई स्तरों पर औपचारिक चर्चा आवश्यक रहती है।


































































