स्मार्ट मीटर लगे, पर सोच पुरानी बनी हुई
शहरी और जिला मुख्यालयों में उपभोक्ता पहले ही Bijli Mitra जैसे मोबाइल ऐप से ई-बिल डाउनलोड कर लेते हैं। बावजूद इसके डिस्कॉम मासिक रूप से लाखों कागज़ी बिल प्रिंट कर रहे हैं। परिणामस्वरूप:
- कागज़ की बर्बादी और अनुपयोगी प्रिंटिंग लागत बढ़ रही है।
- मानव संसाधन का दुरुपयोग हो रहा है — रीडर अनावश्यक रूप से फील्ड में व्यस्त हैं।
- ग्राहक के पास दोहराए गए या खोए हुए बिल की शिकायतें बढ़ रही हैं।
डिजिटल विकल्प मौजूद, पर क्यों नारे पे ही अटके हैं?
डिस्कॉम के पास बिल भेजने के कई मुफ्त और दक्ष विकल्प मौजूद हैं — WhatsApp, Telegram, SMS, Email और मोबाइल ऐप। ये सेकंडों में बिल भेज सकते हैं और लागत न्यूनतम रखते हैं। फिर भी कागज़ी प्रक्रिया नहीं छोड़ी जा रही।
सोशल मीडिया पर सक्रिय अधिकारी, पर डिजिटल सुधार कहां?
कई वरिष्ठ अधिकारी सोशल मीडिया पर नियमित रूप से सक्रिय दिखते हैं, पर डिजिटल बिलिंग, मैनपावर रिडिस्ट्रिब्यूशन और पेपरलेस ऑपरेशन पर ठोस कदम नदारद हैं। यह विरोधाभास उपभोक्ताओं और बजट दोनों के लिए हानिकारक है।
स्मार्ट मीटर का असली फायदा कैसे मिलेगा?
स्मार्ट मीटर कार्यक्रम के उद्देश्य स्पष्ट थे — मैन्युअल रीडिंग हटाना, कागज़ी बिलिंग बंद करना, लागत व मानवशक्ति बचत और उपभोक्ता-केंद्रित डिजिटल सुविधा देना। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए डिस्कॉम को तुरंत ये कदम उठाने होंगे:
- डिजिटल बिलिंग अनिवार्य करें: उपभोक्ता के मोबाइल/ई-मेल पर ई-बिल भेजना प्राथमिक विकल्प बनाया जाए।
- WhatsApp/Telegram इंटीग्रेशन: बिल वितरण के लिए इन प्लेटफॉर्म का आधिकारिक उपयोग शुरू किया जाए—ऑटोमैटेड संदेश और pdf/URL शेयरिंग।
- कागज़ी बिल बंद करने का रोडमैप: चरणबद्ध तरीके से पेपर बिलिंग घटाकर 0% तक लाना (उदाहरण: 6 महीने में 50%, 12 महीने में 90%).
- रिडिस्ट्रिब्यूट मानव संसाधन: मीटर रीडर को डिजिटल मॉनिटरिंग और फील्ड-रिलेटेड कस्टमर सर्विस कार्यों में ट्रांसफर किया जाए।
- ग्राहक-एडवोकेसी और प्रशिक्षण: उपभोक्ताओं को ई-बिलिंग के फायदे समझाने के लिए अभियान चलाया जाए और सहायता नंबर उपलब्ध हों।
- प्रदर्शन मेट्रिक्स लागू करें: हर डिस्ट्रिक्ट में डिजिटल बिलिंग के KPI तय किए जाएँ और त्रैमासिक रिपोर्टिंग अनिवार्य हो।
डिजिटल इंडिया के आदर्श से कितनी दूर?
प्रधानमंत्री की Digital India पहल का लक्ष्य पेपरलेस, पारदर्शी और उपभोक्ता-केन्द्रित सेवाएं है। राजस्थान के डिस्कॉम का वर्तमान व्यवहार इन लक्ष्यों से मेल नहीं खाता — भारी निवेश किया गया, पर उसका असर जनता तक नहीं पहुंच रहा।



































































