Rajasthan News: राजस्थान में बेरोजगारी एक गंभीर चुनौती बनकर उभर रही है, जहांहर साल हजारों युवा नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। (Rajasthan News) लेकिन इसके विपरीत, सरकार एक अजीब निर्णय ले रही है, सेवानिवृत्त अधिकारियों को बार-बार पुनर्नियुक्त कर पुराने चेहरों पर दांव लगा रही है। इस रणनीति के पीछे की मंशा अब एक पहेली बनकर रह गई है, जिसने न केवल जनता बल्कि प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर युवा रोजगार की आस में इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शासन अपने फैसलों से उनकी उम्मीदों पर पानी फेरता हुआ नजर आ रहा है। आखिर सरकार का यह कदम किस ओर इशारा करता है?
अधिकारियों का मानना है कि 11 साल बाद भी तारीक की प्रोटोकॉल अधिकारी की सेवाएं समाप्त नहीं होने से अब तक नए प्रोटोकॉल अधिकारी को अवसर नहीं मिल रहा है। यह प्रोटोकॉल अधिकारी का पद किसी विशेष ज्ञान अथवा तकनीक का पद नहीं है। राजस्थान पेंशन नियम 164A के अनुसार 65 वर्ष से अधि उम्र के अधिकारी को फिर से नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। मोहम्मद तारीक 30 जून 2018 को 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके। इसके चलते उन्हें पुर्न: नियुक्ति नहीं दी जा सकती।
ऐसे बढ़ाया कार्यकाल
- पहली बार 1 जुलाई 2013 से 30 जून 2014 तक।
- दसरी बार 1 जुलाई 2014 से 30 जून 2016 तक।
- तीसरी बार 1 जुलाई 2016 से 30 जून 2017।
- चौथी बार 1 जुलाई 2017 से 30 जून 2018।
- पांचवी बार 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2020।
- छठी बार 1 जुलाई 2020 से 30 जून 2022।
- सातवीं बार 1 जुलाई 2022 से 30 जून 2023।
- आठवीं बार 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024।
- नवीं बार 30 जून 2025 से प्रस्ताव विचाराधीन है।
सेवानिवृित्त के बाद नियुक्ति के लिए नियम
1. पुनर्नियुक्ति केवल अपवाद स्वरूप दी जानी होती है, एक बार में एक वर्ष के लिए ही दी जा सकती है।
2. नियुक्ति से पहले ही मंत्रीमंडल की पूर्व स्वीकृति ली जाएगी।
3. जिस राजसेवक की पुर्न: नियुक्ति की जा रही है उसकी सेवाएं उत्कृष्ठ श्रेणी की होनी चाहिए।
4. किसी क्षेत्र में विशेषज्ञों की कमी होने की अवस्था में ही सेवानिवृत्त राजसेवक की पुर्न: नियुक्ति की जा सकती है।
5. पुर्न: नियुक्ति का प्रस्ताव छह माह पूर्व प्रस्तुत कर दिया जाता है।
6. पुर्न: नियुक्ति केवल लोकहित में ही की जा सकेगी।
7. 65 वर्ष की आयु के पश्चात पुर्न: नियुक्ति नहीं दी जाएगी।
यूपी और राजस्थान में ये मामले विचाराधीन
1. न्यायालय अतििरक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम संख्या-1, उदयपुर में धारा 420 और 468 आईपीसी। 2. अतिरिक्त सैशन एवं जिला न्यायाधीश, उदयपुर के समक्ष लम्बित फौजदारी निगरानी संख्या 27/23 भगवानसिंह विरुद्ध मोहम्मद तारीक। 3. आपराधिक प्रकरण संख्या 56/2013 न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-द्वितीय मैरठ। एफआईआर संख्या-43/2013 थाना कोतवाली मेरठ यूपी धारा 307, 504, 506, 147, 148, 423, 420 एवं 440 आईपीसी। 4. मेरठ में ही एफआईआर संख्या 69/2013 अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम संख्या-5। 5. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आपराधिक रिवीजन पेंडिंग है। 6. अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश क्रम संख्या-4 जयपुर महानगर संख्या-1 में फौजदारी मामला पेंडिंग है।
कानून में बदलाव
28 जून 2013 को तारीक की नियुक्ति पे-माइन्स पेंशन पर की गई, जो गैरकानूनी है। उनकी नियुक्ति के समय 28 जून 2013 तक पे-माइनस पेंशन पर नियुक्ति करने का कोई प्रावधान नहीं था। इसके बाद 22 सितंबर 2014 को पहली बार इस प्रावधान को लाया गया।
यह भी पढ़ें
Rajasthan: राजकीय अवकाश…. बढ़ा HRA…आठ लाख कर्मचारियों के लिए दिवाली का खास तोहफा!