“NASA की रिपोर्ट”: पृथ्वी पर ऑक्सीजन खत्म होने की तारीख, जानिए कितना समय बचा है?

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NASA: नासा और जापान की टोहो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक संयुक्त अध्ययन में यह अनुमान जताया है कि हमारी पृथ्वी पर जीवनदायिनी ऑक्सीजन अनंत नहीं है और एक दिन यह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इस शोध ने जीवन और विज्ञान की दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।(NASA) वैज्ञानिकों के मुताबिक, लगभग एक अरब साल बाद पृथ्वी पर ऑक्सीजन युक्त वातावरण पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। इसका मतलब है कि आज जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह भविष्य में दुर्लभ हो जाएगी, और पृथ्वी जीवों के लिए रहने योग्य नहीं रह पाएगी।

कैसे किया गया यह अनुमान?

यह निष्कर्ष किसी कल्पना पर आधारित नहीं है। इस शोध में 4 लाख से अधिक कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का उपयोग किया गया है, ताकि पृथ्वी के वायुमंडलीय और खगोलीय बदलावों को समझा जा सके। ये सिमुलेशन यह बताते हैं कि सूर्य की ऊर्जा में बदलाव पृथ्वी के वातावरण को कैसे प्रभावित करेगा।

सूर्य बनेगा जीवन के अंत की वजह

जैसे-जैसे सूर्य की उम्र बढ़ेगी, वह और ज्यादा गर्म और तेज चमकदार होता जाएगा। इसके कारण:

  • पृथ्वी का सतही तापमान बढ़ेगा

  • महासागरों का पानी वाष्पित होगा

  • वायुमंडलीय नमी और कार्बन चक्र प्रभावित होंगे

  • पौधे, जो ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत हैं, धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे

जब पौधे नहीं बचेंगे, तो ऑक्सीजन भी समाप्त हो जाएगी।

जीवन की उलटी गिनती शुरू?

वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, साल 999,999,996 तक पृथ्वी पर जीवन बेहद कठिन हो जाएगा, और 1,000,002,021 तक जीवन पूरी तरह से समाप्त हो सकता है। यह स्थिति न सिर्फ इंसान के लिए, बल्कि ऑक्सीजन पर निर्भर अधिकांश जीवों के लिए भी खतरनाक होगी।

कौन बच पाएंगे इस संकट से?

जैविक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उस समय केवल वे जीव बच पाएंगे जो कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रह सकते हैं — जैसे कुछ विशेष प्रकार के सूक्ष्मजीव। पृथ्वी फिर से एक एनारोबिक (बिना ऑक्सीजन वाला) दुनिया बन जाएगी, जैसा अरबों साल पहले था।

क्या इसे रोका जा सकता है?

वैज्ञानिक इस परिवर्तन को अपरिहार्य मानते हैं, क्योंकि यह खगोलीय घटनाओं पर आधारित है, न कि मानवजनित प्रदूषण पर। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर तकनीक तेज़ी से आगे बढ़े और मानवता अंतरिक्ष में टिकाऊ समाधान ढूंढ सके, तो इस विनाश को कुछ हद तक टाला जा सकता है। हालांकि यह घटना लाखों और करोड़ों वर्षों दूर है, यह शोध हमें याद दिलाती है कि हमारा ग्रह स्थायी नहीं है। पृथ्वी पर जीवन का होना एक अनमोल अवसर है, और इसे समझदारी से संजोना हमारी ज़िम्मेदारी है।

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