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Saturday, November 22, 2025

मणिपुर में भागवत का प्रखर संदेश: विविधता में एकता, संवाद से समाधान और सभ्यता की निरंतरता पर बल

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Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat Manipur Visit: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय दौरे पर मणिपुर पहुंचे हैं। अपने दौरे के दूसरे दिन  इंफाल में जनजातीय नेताओं के साथ बैठक के दौरान उन्होंने सामाजिक एकता का आह्वान करते हुए कहा कि उनका संगठन “समाज (Mohan Bhagwat Manipur Visit)को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से समर्पित” है।

“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी के खिलाफ नहीं है; इसका गठन समाज को नष्ट करने के लिए नहीं, बल्कि समाज को समृद्ध करने के लिए किया गया है।” — मोहन भागवत

भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ न तो राजनीति करता है और न ही किसी संगठन को ‘रिमोट कंट्रोल’ से चलाता है। उनका कहना था कि संघ का काम मित्रता, स्नेह और सामाजिक सद्भाव के माध्यम से होता है और यह जमीन से जुड़ा एक व्यक्ति-निर्माण, चरित्र-निर्माण आंदोलन है।

“हम अपनी साझा चेतना के कारण एकजुट”

भारतीय सभ्यता की निरंतरता पर जोर देते हुए भागवत ने कहा, “हम अपनी साझा चेतना के कारण एकजुट हैं। अपनी सुंदर विविधता के बावजूद, हम एक सभ्यतागत परिवार के सदस्य हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि एकता के लिए एकरूपता आवश्यक नहीं है और संघ की स्थापना आंतरिक फूट को दूर करने के उद्देश्य से हुई थी, न कि बाहरी ताकतों के जवाब में।

शाखाओं में शामिल होने का आह्वान

भागवत ने सभी से शाखाओं (शाखा सत्रों) में आने का अनुरोध किया ताकि लोग समझ सकें कि संघ जमीनी स्तर पर किस प्रकार काम करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता के प्रति समर्पण और समाज की बेहतरी के लिए काम करना—ये कार्य पहले से ही किसी को अघोषित ‘स्वयंसेवक’ बनाते हैं।

संवाद और क्षेत्रीय मुद्दे

जनजातीय नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों के संबंध में भागवत ने कहा कि ये राष्ट्रीय चिंता के विषय हैं और उनका समाधान संवैधानिक ढांचे के भीतर होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिवार के मुद्दों का समाधान परिवार के भीतर होना चाहिए और “संवाद एकता पर आधारित होना चाहिए, न कि अनुबंधात्मक सौदेबाजी पर।”

भागवत ने उल्लेख किया कि कई क्षेत्रीय विभाजनों की जड़ें औपनिवेशिक नीतियों में पाई जाती हैं। उन्होंने जनजातीय नेताओं से अपील की कि वे अपनी स्वदेशी परंपराओं, भाषाओं और लिपियों पर गर्व करें और सांस्कृतिक पहचान पर आधारित स्वदेशी जीवनशैली अपनाएँ।

एक अलग बातचीत में भागवत ने युवा नेताओं से कहा कि भारत एक हालिया राष्ट्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन और सतत सभ्यता है। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया और बताया कि आरएसएस शाखाओं का उद्देश्य जिम्मेदार, सक्षम और नि:स्वार्थ नागरिक तैयार करना है जो देश के विकास में अपने कौशल और प्रतिभा का योगदान दें।

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