DRDO: भारतीय नौसेना की वायु रक्षा क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक निर्णायक पहल की है। प्रोजेक्ट P044 के तहत DRDO अब Very Short Range Air Defence System (V-SHORADS) को नौसेना युद्धपोतों पर तैनात करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
इस सिस्टम के लिए Stabilized Launch Mechanism System (SLMS) को एक युद्धपोत पर स्थापित किया जाएगा, जिससे समुद्र में परीक्षण किए जा सकें। यह सिस्टम चलते जहाज पर भी सही दिशा में मिसाइल दागने में सक्षम होगा।
SLMS की खासियत क्या है?
जहाज जब समुद्री लहरों और हवा की वजह से हिलता है, तो आमतौर पर निशाना साधना मुश्किल हो जाता है। लेकिन SLMS उस हलचल को नियंत्रित करता है और मिसाइल को सटीक दिशा में दागने में सहायता करता है। यह तकनीक नौसेना के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
28 स्वदेशी हथियारों की आपातकालीन खरीद सूची में शामिल
हाल ही में DRDO ने सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए 28 स्वदेशी हथियार प्रणालियों की सूची रक्षा मंत्रालय को सौंपी है, जिन्हें आपातकालीन खरीद के तहत शामिल किया जा सकता है। इनमें V-SHORADS प्रणाली भी शामिल है।
नौसेना की मल्टी-लेयर रक्षा को मिलेगी मजबूती
डिफेंस सूत्रों के अनुसार, अगर SLMS का समुद्री परीक्षण सफल रहता है, तो इसे अन्य युद्धपोतों पर भी तैनात किया जा सकता है। यह प्रणाली बराक-8 और आकाश मिसाइल के साथ मिलकर नौसेना की मल्टीलेयर एयर डिफेंस नेटवर्क को और मजबूत बनाएगी। इस कॉम्पैक्ट और लचीली प्रणाली को विध्वंसक, फ्रिगेट, कोरवेट और ऑफशोर पेट्रोल वेसल जैसे कई प्लेटफॉर्म्स पर तैनात किया जा सकता है।
इससे भारतीय नौसेना को ड्रोन, हेलीकॉप्टर और एंटी-शिप मिसाइल जैसे खतरों से प्रभावी रूप से निपटने की नई क्षमता मिलेगी।अगर समुद्री परीक्षण सफल रहते हैं तो V-SHORADS भारतीय नौसेना के बेड़े का एक अहम हिस्सा बन सकता है और देश की समुद्री सीमाओं को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाने में भूमिका निभाएगा।