हीरालाल नागर ने केवल फटकार ही नहीं लगाई, बल्कि मौके पर स्पष्ट निर्देश भी जारी किए। उन्होंने कहा कि जिन नई डामर सड़कों की गुणवत्ता ठीक नहीं है और जो जल्द टूट गई हैं, उनकी लागत संबंधित ठेकेदारों से वसूल कर सड़क को खोदकर फिर से गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनवाया जाए। मंत्री ने “सब चलता है” वाले रवैये को बर्दाश्त न करने की बात दोहराई।
समसा सिविल विंग पर भी उठे सवाल
यह मसला हालिया घटनाओं से जुड़ा हुआ है — कुछ समय पहले ही ऊर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर समसा सिविल विंग को भंग करने की माँग की थी और स्कूलों के निर्माण कार्यों में खामियों को उठाया था। मंत्री दिलावर ने कहा कि नागर द्वारा उठाए गए बिंदुओं की गंभीरता से जांच की जा रही है और यदि गड़बड़ी पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बैठक में माना कि विभाग में इंजीनियरों की कमी है क्योंकि राज्य का स्थायी इंजीनियरिंग कैडर सीमित है और अधिकांश इंजीनियर डेपुटेशन पर आते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में PWD और अन्य सरकारी एजेंसियों से अनुभवी इंजीनियर लेकर ही स्कूल निर्माण और मरम्मत कार्य कराए जाएंगे, ताकि गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। मंत्री नागर के गुस्से और दिए गए सख्त निर्देशों का असर तत्काल दिखने की उम्मीद है — संबंधित विभागों को दोषियों की पहचान कर राशि वसूली व पुनःनिर्माण की प्रक्रिया तेज करनी होगी। वहीं प्रशासन को भी भविष्य में गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी व्यवस्था सुदृढ़ करने के निर्देश मिल गए हैं।


































































