Gurgaon Kidney Scandal: गुरुग्राम किडनी कांड के खुलासे के बाद डॉ. अमित कुमार और उनके सहयोगी डॉ. देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ सुर्खियों में आए। (Gurgaon Kidney Scandal)पुलिस जांच में यह सामने आया कि यह अवैध किडनी रैकेट वर्षों से चल रहा था और इसके मास्टरमाइंड डॉ. अमित ही थे।
अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का शिकार विदेशी ग्राहक
बिना किसी सर्जिकल योग्यता या अनुभव के, डॉ. अमित खुद किडनियां निकालकर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सऊदी अरब और ग्रीस जैसे देशों से आए ग्राहकों के शरीर में प्रत्यारोपित करते थे। गुरुग्राम की अदालत ने उन्हें ‘झोला छाप’ डॉक्टर करार दिया था।
शिकायत से शुरू हुआ पर्दाफाश
2008 में मुरादाबाद के एक व्यक्ति की शिकायत के बाद गुरुग्राम पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि उसकी किडनी अवैध रूप से निकाल ली गई थी। इस घटना के बाद डॉ. अमित और उनके भाई जीवन कुमार फरार हो गए।
नेपाल से गिरफ्तारी और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस ने 7 फरवरी 2008 को नेपाल से डॉ. अमित को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर हरियाणा, यूपी और दिल्ली में छापेमारी की गई और पांच अन्य डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया, जो आयुर्वेदिक पढ़ाई के बाद बिना सर्जिकल ज्ञान के इस रैकेट में शामिल थे।
फर्जी अस्पताल और किडनी का गोरखधंधा
फरीदाबाद के एक गेस्ट हाउस को पुलिस ने फर्जी अस्पताल के रूप में सील किया। जांच में पता चला कि यह रैकेट सात सालों से चल रहा था, जिसमें गरीब लोगों को नौकरी या सरकारी योजनाओं का लालच देकर उनकी किडनी धोखे से निकाल ली जाती थी। पीड़ितों को 25-30 हजार रुपये देकर चुप कराने की कोशिश की जाती थी।
विदेशी ग्राहकों के लिए काला कारोबार
डॉ. अमित गरीबों की किडनियां निकालकर विदेशियों को प्रत्यारोपित करता था और प्रत्येक किडनी के लिए 40-50 लाख रुपये वसूलता था। उसने सीबीआई पूछताछ में कबूल किया कि सात सालों में उसने 750 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए।
क्रूरता की हदें पार
जांच में सामने आया कि किडनी निकालने के बाद कई बार सिलाई में लापरवाही बरती गई, जिससे कुछ पीड़ितों की मौत हो गई। डॉ. अमित ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा और मेरठ में दो फर्जी अस्पताल और 10 से अधिक लैब स्थापित किए थे।
सीबीआई जांच और सजा
सीबीआई ने मामले की जांच की और 2013 में गुरुग्राम की अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर डॉ. अमित और अन्य आरोपियों को 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।