कानून के मुख्य बिंदु
मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने स्पष्ट किया कि इस कानून का मकसद किसी के भी धर्म-स्वतंत्रता पर दबाव पड़ने से रोकना है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को धर्म परिवर्तन के लिए जबरदस्ती करेगा या धोखे-फरेब से बरगलाएगा, तो कानून के तहत कठोर कानूनी प्रावधान लागू होंगे और संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का दावा और विपक्ष की आलोचना
सरकार का कहना है कि यह कानून समाज में सुनियोजित धर्म-परिवर्तन की वकालतनुमा घटनाओं को रोकने के लिए बनाया गया है और यह नागरिकों की भलाई के लिए है। वहीं विपक्ष ने कानून पर आपत्ति जताते हुए इसे व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला बताया है। गृह राज्य मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक रूप दे कर जनता और कार्यकर्ताओं को बरगलाने की कोशिश कर रही है।
कानून कब पास हुआ और लागू कैसे हुआ
राजस्थान विधानसभा ने यह विधेयक 9 सितंबर को पारित किया था। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद 29 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की गई और अधिनियम के प्रावधान पूरे प्रदेश में लागू कर दिए गए।
कानूनी लड़ाई — सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
इस कानून के संबंध में विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर लिखित जवाब पेश करने को कहा है। अदालत के रुख के आधार पर आगे इस अधिनियम की वैधता और लागू करने के दायरे को प्रभावित करने वाले निर्णय आएंगे।
क्या देखना होगा — अगले चरण
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार के जवाब पर प्रतिक्रिया और संभावित अंतरिम आदेश।
- कानून के लागू होने के बाद किन-किन मामलों में कार्रवाई शुरू होती है और उसका सामाजिक प्रभाव।
- राजनीतिक मोर्चे पर विपक्ष की तैयारियां और जनभावना पर इसका असर।


































































