बाड़मेर DISHA बैठक में आखिर ऐसा क्या हुआ कि बेनीवाल अचानक भड़क उठे और अफसरों के चेहरे उतर गए?

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Rajasthan News : सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल की अध्यक्षता में हुई DISHA बैठक में विकास योजनाओं की धीमी प्रगति और निर्देशों की अवहेलना पर जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों को सख्त फटकार लगाई।

बाड़मेर में मंगलवार को आयोजित जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (DISHA) की एक अहम बैठक जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तनातनी का बड़ा कारण बन गई। (Rajasthan News)कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल की अध्यक्षता में हुई इस मैराथन बैठक में केंद्र की प्रमुख योजनाओं—विशेषकर मनरेगा और जल जीवन मिशन (JJM)—की धीमी रफ्तार पर अधिकारियों को कड़ी फटकार सुनाई गई।

बैठक के दौरान जब जनप्रतिनिधियों ने योजनाओं की प्रगति और पिछली बैठकों में जारी निर्देशों के पालन के बारे में स्पष्ट रिपोर्ट मांगी, तो अधिकारियों के उत्तर काफी गोलमोल और असमंजसपूर्ण रहे। सांसद बेनीवाल ने इसे जनता के प्रति गैर-जिम्मेदारी बताया और अधिकारियों को अपने कामकाज में सुधार लाने के निर्देश दिए।

मनरेगा के टांके रुके—क्या मिला लिखित आदेश?

बैठक में मनरेगा के तहत चल रहे जल-संग्रहण टांके और अन्य कार्यों का मुद्दा गरमा गया। सांसद ने बताया कि दीपावली के दौरान टांके निर्माण पर रोक लगाई गई थी और बाद में शुरू करने की बात आई, पर अधिकारियों के पास इस बारे में किसी प्रकार का लिखित आदेश नहीं था। अधिकारियों ने न तो राज्य/केंद्र को लिखित रूप से कोई रिपोर्ट भेजी और न ही रोक के कारणों का स्पष्ट ब्यौरा दे पाए। सांसद ने कहा कि यह सीधे विकास कार्यों में बाधा डालता है।

“कागजों पर काम, हकीकत में पानी नहीं”

जल जीवन मिशन की प्रगति पर सांसद ने तीखी नाराजगी जताते हुए कहा कि बाड़मेर जिले की रिपोर्ट देश के निचले पायदान पर है। रिपोर्टों में कई गांवों में काम पूरा दिखाया गया, पर हकीकत में 90% घरों में नल से पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। अधिकारियों ने इसका कारण पानी के दबाव (flow) में कमी बताया, जिस पर सांसद ने कहा कि यह बहाना स्वीकार्य नहीं और जिम्मेदार अफसर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।

सांसद की चेतावनी: मामला संसद तक जाएगा

बैठक के समापन पर सांसद बेनीवाल ने साफ चेतावनी दी कि यदि दिशा बैठक में दिए गए निर्देशों का अनुपालन ठोस रूप से नहीं हुआ तो वे इस मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने अफसरशाही में लापरवाही बर्दाश्त न करने की कहा और जवाबदेही पर जोर दिया।

जनप्रतिनिधियों की नाराजगी के बाद जिला प्रशासन को अब स्पष्ट रिपोर्टिंग, फील्ड-परिदर्शन और संबंधित कामों का शीघ्र निपटारा करना होगा। जनता की चाह यह है कि टांके व जल आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं का त्वरित और पारदर्शी समाधान मिले।

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