Ashok Gehlot: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नशे की बढ़ती लत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह समस्या अब कॉलेजों तक सीमित नहीं है, बल्कि स्कूलों में भी इसका प्रभाव दिखने लगा है। 10वीं और 12वीं के बच्चे भी शराब और ड्रग्स का सेवन करने लगे हैं।(Ashok Gehlot) छोटे-बड़े अवसरों पर बच्चों द्वारा शराब पीने की घटनाएं समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं।
प्रशासन और सरकार पर लापरवाही का आरोप
गहलोत ने नशे के बढ़ते कारोबार के लिए प्रशासन और सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पुलिस और तस्कर गैंगों की मिलीभगत से यह समस्या और गंभीर हो गई है। पिछले पांच वर्षों में राजस्थान में 50 से अधिक पुलिसकर्मी नशे के कारोबार में शामिल पाए गए, जो प्रशासन की संलिप्तता को दर्शाता है।
कानूनी प्रावधानों की कमजोरियां
गहलोत ने ड्रग्स पर सख्त कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की लंबी अवधि और सबूतों के अभाव के कारण आरोपी आसानी से बच निकलते हैं। यही वजह है कि MDMA जैसे खतरनाक ड्रग्स युवाओं के बीच आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।
क्लब और पब कल्चर पर सख्ती की जरूरत
गहलोत ने कहा कि क्लब और पब कल्चर पर सख्ती करना जरूरी है। दो साल पहले जब उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात की थी, तब उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। यह विरोध नशे के कारोबार से जुड़े लोगों द्वारा किया गया था, जो राजनीतिक और सामाजिक दबाव का इस्तेमाल करते हैं।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
गहलोत ने सवाल उठाया कि सरकार और समाज अपने बच्चों के भविष्य को लेकर कितने गंभीर हैं। गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और जोधपुर जैसे क्षेत्रों में तस्कर गैंगों के सक्रिय होने के बावजूद सरकार की ओर से ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?
क्या सरकार और प्रशासन युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर हैं?
गहलोत ने कहा कि नशे के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। यह समस्या केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चुनौती भी है, जिसका समाधान मिलकर खोजना होगा।