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Monday, October 20, 2025

बिहार BJP में राजनीतिक संकट: वरिष्ठ नेता टिकट न मिलने पर बगावत पर, निर्दलीय उतरेंगे मैदान

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Bihar Assembly Elections 2025

Bihar Assembly Elections 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट न मिलने पर 10 से अधिक वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने एनडीए को झटका देने का मन बनाया है। भाजपा के कोटे की सभी 101 सीटों पर प्रत्याशी तय हो चुके हैं, लेकिन कुल 17 विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जिनमें कुछ नेताओं ने तो पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। अब कई सीटों पर स्थानीय नेताओं के बगावती तेवर और(Bihar Assembly Elections 2025) निर्दलीय दावेदारी ने बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है।

कौन हैं बगावती नेता

  • हेमंत चौबे: बक्सर (चैनपुर) — जन सुराज पार्टी ने दिवंगत नेता लालमुनि चौबे के बेटे को टिकट दिया है।
  • पूर्व मेयर राखी गुप्ता: छपरा — बीजेपी ने छोटी कुमारी को टिकट दिया, राखी गुप्ता ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
  • कुसुम देवी और वरिष्ठ नेता अनूप लाल श्रीवास्तव: गोपालगंज सदर — टिकट काटने पर बगावत का झंडा उठाया।
  • पूर्व सांसद और बीजेपी उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी: बांका — पार्टी से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरें।
  • विधायक रामप्रवेश राय: बरौली — टिकट कटने के बाद खुलेआम विद्रोह किया।
  • बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय: महाराजगंज — निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की।
  • लाल बाबू प्रसाद: मोतिहारी (ढाका) — जन सुराज पार्टी ने प्रत्याशी बनाया, वोट बंटवारे की संभावना।
  • अर्जित शाश्वत चौबे और प्रशांत विक्रम: भागलपुर — टिकट न मिलने पर बगावती तेवर, निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा।

नेताओं में बढ़ा असंतोष

पार्टी के दिग्गज नेता अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और आर.के. सिंह की नाराजगी सतह पर दिख रही है। टिकट वितरण से पहले बनी BJP की कोर कमेटी से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को बाहर किया जाना भी असंतोष बढ़ाने वाला कदम रहा। दिल्ली में हुई कोर ग्रुप की बैठक में दोनों नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि बिहार के मंत्री नितिन नवीन को शामिल किया गया।

अमित शाह की चुनौती

इन तमाम बगावतों के बीच गृह मंत्री अमित शाह तीन दिनों के दौरे पर पटना पहुंच रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है — पार्टी के नाराज़ नेताओं को मैनेज करना और एनडीए सहयोगियों (जेडीयू, एलजेपी और हम) के साथ तालमेल बनाकर “फ्रेंडली फाइट” की स्थिति से बचना। कुल मिलाकर, टिकट वितरण के बाद बीजेपी को अब बाहरी मुकाबले से ज़्यादा अपने अंदरूनी मोर्चे को संभालने की चुनौती है।

 


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