सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत, विपक्षी सुदर्शन रेड्डी को मिली भारी हार…चुनाव के राज़!

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15th Vice President

15th Vice President: भारत के 15वें उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो गया है, और एनडीए के उम्मीदवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को नए उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया है। विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कुल 788 मतदाता थे, (15th Vice President) जिनमें से 781 वोट पड़े, जिसमें से 752 वोट मान्य थे और 16 वोट अवैध पाए गए। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले।

विपक्षी उम्मीदवार को हार क्यों मिली?

यह चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच दिलचस्प मुकाबला था। सीपी राधाकृष्णन की जीत के पीछे कई कारण थे:

  1. एनडीए को क्रॉस वोटिंग का लाभ: एनडीए को विपक्षी दलों से 14 वोट मिले, जिससे विपक्ष को बड़ा झटका लगा।
  2. संख्याबल का लाभ: एनडीए के पास पहले से ही पर्याप्त संख्या थी, और वायएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों के वोट से एनडीए का समर्थन बढ़ा।
  3. सुदर्शन रेड्डी की अपील: सुदर्शन रेड्डी ने अपने वोटरों से अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट करने की अपील की थी, जिससे क्रॉस वोटिंग हुई और एनडीए को फायदा मिला।
  4. अमान्य वोटों का बड़ा प्रतिशत: 15 वोट अमान्य पाए गए, जो कुल वोटों का लगभग 2 प्रतिशत थे। यह दर्शाता है कि सांसदों द्वारा मतदान प्रक्रिया में गलती की गई।
  5. सीपी राधाकृष्णन की छवि: एनडीए ने राधाकृष्णन को एक बेदाग़ और अनुभवी नेता के रूप में पेश किया, जो गौंडर-कोंगु वेल्लालर ओबीसी समुदाय से आते हैं।

विपक्षी दलों का दावेदार

विपक्षी गठबंधन ने अपनी एकजुटता दिखाने के लिए सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया था। उनका उद्देश्य था कि वे दक्षिण भारत से एक उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रस्तुत करें, लेकिन एनडीए ने अपनी रणनीति के तहत क्रॉस वोटिंग का फायदा उठाया।

क्या था परिणाम?

सीपी राधाकृष्णन की जीत को भारतीय राष्ट्रवाद और विकास के दृष्टिकोण की जीत के रूप में देखा गया, जबकि सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि वे लोगों की अंतरात्मा को जगाने का प्रयास कर रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने इंडी गठबंधन के 315 सांसदों के वोट का दावा किया था, लेकिन उन्हें 15 वोट कम मिले। यह चुनाव एक प्रतीकात्मक मुकाबला था, जिसमें दोनों गठबंधनों ने अपने सांसदों को वोट डालने की ट्रेनिंग दी थी। हालांकि, कुछ वोट अमान्य हो गए, और एनडीए को इसका फायदा मिला। यह चुनाव एक महत्वपूर्ण संकेत है कि राजनीति में रणनीति और एकजुटता के साथ कैसे जीत हासिल की जा सकती है।

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