Delhi High Court:दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने घरेलू हिंसा से जुड़ी याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि घरेलू हिंसा कानून (DV Act) के तहत पत्नी का साझा घर में रहने का अधिकार हमेशा लागू नहीं होता। यदि पत्नी आत्मनिर्भर और लाभकारी नौकरी करती है, तो उसे ससुराल के संयुक्त घर से निकाला जा सकता है, चाहे उस घर का मालिकाना हक किसी के भी पास हो। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने MBA शिक्षित और कामकाजी महिला की अपील को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि उसे साझा घर से निकालना उसे असहाय छोड़ने जैसा नहीं है।
बुढ़ापे में घर से वंचित करना ठीक नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच कानूनी विवाद के दौरान यह निर्णय सुनाया कि अपीलकर्ता के बुजुर्ग ससुर के पास साझा घर का स्वामित्व है, और उन्हें बुढ़ापे में उनके घर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिला को बेघर नहीं छोड़ा गया है, बल्कि उसे किराये का वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया गया है।
सहमति के बिना पत्नी के गहने गिरवी रखना गलत
तिरुवनंतपुरम केरल हाईकोर्ट ने पत्नी की सहमति के बिना उसके स्त्रीधन में मिले गहनों को गिरवी रखने को अमानत में खयानत का अपराध मानते हुए पति को छह माह के कारावास और पांच लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि इस मामले में आपराधिक विश्वासघात के सभी तत्व साबित होते हैं। पति ने पत्नी के गहनों को लॉकर में रखने के बजाय उसकी सहमति के बिना गोल्ड लोन कंपनी में गिरवी रखकर कर्ज लिया था।