ट्रंप का ताज़ा दावा: “रिश्ते अच्छे, पर भारत ने हम पर अत्यधिक टैरिफ लगाए”
ट्रंप के अनुसार, अमेरिका और भारत के रिश्ते “हमेशा अच्छे” रहे, लेकिन उनका कहना है कि भारत ने अमेरिका पर “दुनिया में सबसे अधिक” टैरिफ लगाए, जिसकी वजह से अमेरिका का भारत के साथ व्यापार नगण्य रहा।
“भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं, लेकिन वर्षों तक संबंध एकतरफा रहे। भारत हम पर बहुत अधिक टैरिफ लगाता रहा—दुनिया में सबसे अधिक। इसलिए हम उनके साथ व्यापार नहीं कर रहे थे, जबकि वे हमारे साथ कर रहे थे।”
“दशकों से एकतरफा व्यापार संबंध” — ट्रंप का पुराना आरोप दोहराया
ट्रंप ने कहा कि कई दशकों से अमेरिका–भारत व्यापार एकतरफा रहा है। उनका दावा है कि अमेरिका ने भारत पर समान स्तर का शुल्क नहीं लगाया, इसलिए भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में आसानी से प्रवेश करते रहे, जबकि अमेरिकी कंपनियाँ ऊँचे आयात शुल्क के कारण भारत में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाईं।
हार्ले-डेविडसन का उदाहरण: ऊँचे आयात शुल्क और भारत में असेंबली
ट्रंप ने अमेरिकी मोटरसाइकिल कंपनी हार्ले-डेविडसन का उदाहरण देते हुए कहा कि मोटरसाइकिलों पर “उच्च टैरिफ” के कारण कंपनी को भारत में मोटरसाइकिल बेचने में कठिनाई हुई। उनके अनुसार, बाद में कंपनी ने भारत में प्लांट/असेंबली लगाई, जिससे आयात शुल्क का बोझ कम हुआ।
“टैरिफ से लाभ” — कंपनियों के अमेरिका आने का दावा
ट्रंप ने आगे कहा कि हजारों कंपनियाँ—खासकर चीन, मैक्सिको और कनाडा की ऑटो निर्माताएँ—टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियों से लाभ उठाने के लिए अमेरिका में उत्पादन करने के विकल्प चुन रही हैं।
“अब हजारों कंपनियाँ अमेरिका आ रही हैं, वे यहाँ प्लांट लगाना चाहती हैं—क्योंकि उन्हें यहाँ रहना पसंद है और टैरिफ से फायदा होगा।”
भारत–अमेरिका रिश्तों पर असर: ‘अच्छी बातचीत’ का भी दावा
टैरिफ को लेकर तीखी टिप्पणियों के बावजूद ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देश “अच्छी तरह से बातचीत” कर रहे हैं। उनका कहना है कि मतभेदों के बीच भी संवाद जारी है और व्यापारिक मसलों पर वार्ता आगे बढ़ रही है।
परिदृश्य और आगे की राह
टैरिफ, बाज़ार पहुँच और स्थानीय उत्पादन को लेकर चल रही खींचतान से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश रणनीतियों पर असर पड़ता रहा है। ट्रंप के नवीनतम बयान से स्पष्ट है कि शुल्क-नीति और बाज़ार संतुलन का मुद्दा आगे भी भारत–अमेरिका संबंधों की केंद्रीय कड़ी बना रहेगा।