H-1B Visa: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए लॉटरी सिस्टम में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नए नियमों के अनुसार, अब H-1B वीजा आवेदन करने वालों को एक लाख डॉलर अतिरिक्त फीस देनी होगी और सैलरी आधारित सेलेक्शन प्रक्रिया (H-1B Visa)लागू की जाएगी।
क्या है मकसद और कौन होगा प्रभावित?
राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले का मकसद अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां सुरक्षित करना और कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगाना है। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारतीय और अन्य विदेशी कर्मचारियों पर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका में करीब 70 प्रतिशत H-1B वीजा धारक भारतीय हैं।
वीजा के लिए बढ़ाई एक लाख डॉलर फीस
गत 20 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया था। इसके तहत, अब H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले नए लोगों को बेसिक और प्रोसेसिंग फीस के साथ एक लाख डॉलर अतिरिक्त फीस भी देनी होगी, जो लगभग 85 लाख रुपये के बराबर है। हालांकि, मेडिकल सेक्टर को इस फीस से बाहर रखा गया है।
वीजा के लिए अब तक ऐसे होता सेलेक्शन
अमेरिका की US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) H-1B वीजा जारी करती है। इसके लिए एक पूरा प्रोसेस आवेदन को फॉलो करना होता है। वीजा के लिए सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। इसके लिए कंपनी USCIS की वेबसाइट पर ऑनलाइन अकाउंट बनाती है और हायर किए जाने वाले लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन कराती है। इसके लिए पासपोर्ट की डिटेल देकर $215 प्रति रजिस्ट्रेशन फीस जमा करती है।
अगर रजिस्ट्रेशन की संख्या निर्धारित सीमा से ज्यादा होती है, तो कंप्यूटर जनरेटेड रैंडम लॉटरी द्वारा पात्र रजिस्ट्रेशन का चयन किया जाता है। फिर पहले 20,000 मास्टर्स वीजा जारी किए जाते हैं, और इसके बाद 65,000 रेगुलर वीजा जारी होते हैं। सेलेक्शन होने के बाद कंपनी फीस वगैरा भरकर प्रोसेस पूरा करती है और फिर वीजा जारी कर दिया जाता है।
2026 के लिए USCIS ने चुने 118660 लाभार्थी
USCIS ने 2026 के वित्तीय वर्ष के लिए 118,660 लाभार्थियों का चयन किया है। इसके परिणामस्वरूप 120,141 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। यह प्रक्रिया एक अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2026 के लिए लागू होगी।