Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने को स्पष्ट रूप से कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब किसी को अपमानित करना या समाज में वैमनस्य फैलाना नहीं हो सकता। अदालत की दो अलग-अलग पीठों ने सोशल मीडिया पर बढ़ते आपत्तिजनक और विभाजनकारी कंटेंट को लेकर चिंता जताई और केंद्र सरकार से इस दिशा में स्पष्ट नीति की मांग की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने टिप्पणी की कि आज़ादी का मतलब अनुशासनहीनता नहींहो सकता। उन्होंने कहा, (Supreme Court)“हर किसी को सोच-समझकर बोलने की ज़रूरत है। संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन कर्तव्यों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
‘चर्चा के लिए नहीं, उकसाने के लिए पोस्ट
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने भी टिप्पणी की कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर केवल चर्चा में आने की कोशिश करते हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भावना के खिलाफ है।
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट पर नियंत्रण के लिए गाइडलाइंस तैयार की जा रही हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गाइडलाइंस संविधान के मूल सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए, और इसमें स्वतंत्रता और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन होना चाहिए।
सोशल मीडिया की हेट स्पीच पर गहरी चिंता
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने असम निवासी वज़ाहत खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफरत पर गहरी चिंता जताई। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है। उन्होंने लोगों से स्वविवेक और संयम बरतने की अपील की।
कोई भी प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति की आड़ में नफरत का माध्यम नहीं बन सकता
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सेंसरशिप के पक्ष में नहीं है, लेकिन सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाने ज़रूरी हैं। जस्टिस विश्वनाथन ने सवाल उठाया कि लोग हेट स्पीच को नकारने की बजाय शेयर क्यों कर रहे हैं?
तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने रखी सख्त राय
पिछले दो दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई की — जिनमें एक कॉमेडियन समूह, एक कार्टूनिस्ट और एक आम नागरिक शामिल थे। याचिकाओं में कहा गया कि सोशल मीडिया पर विचार व्यक्त करने के कारण उनके खिलाफ देशभर में एफआईआर दर्ज की गईं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर कोई भी मंच अपमान, घृणा या अश्लीलता का माध्यम नहीं बन सकता।