CJI Gavai: सुप्रीम कोर्ट में एक नियमित सुनवाई उस समय एक भयावह मोड़ ले गई जब एक शख्स ने भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंका। इस घटना से चीफ जस्टिस को कोई शारीरिक क्षति नहीं हुई, क्योंकि जूता उनके पैर तक ही गया। हालांकि, इस घटना ने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास पर एक धब्बा लगा दिया। इस दौरान जस्टिस गवई पूरी तरह शांत रहे और कहा, “ऐसी घटनाओं से ( CJI Gavai)मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप लोग अपनी दलीलें जारी रखें।”
आरोपी वकील कौन हैं?
आरोपी पेशे से वकील हैं। उनका नाम राकेश किशोर है। कोर्ट स्टाफ ने आरोपी को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। जूता फेंकने से पहले 72 वर्षीय वकील ने चिल्लाते हुए कहा, ‘सनातन का अपमान नहीं चलेगा।’ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, राकेश किशोर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के रजिस्टर्ड सदस्य हैं और दिल्ली के मयूर विहार इलाके में रहते हैं। उन्होंने 2009 में दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन कराया था।
राकेश किशोर अपनी लंबी सदस्यता के लिए कानूनी बिरादरी में जाने जाते हैं। उनके पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और दिल्ली बार काउंसिल के सदस्यता कार्ड मिले हैं।
आखिर क्यों फेंका जूता चीफ जस्टिस पर?
यह घटना मध्य प्रदेश के खजुराहो परिसर में क्षतिग्रस्त विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी एक याचिका से संबंधित है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गवई द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी “जाओ और भगवान से पूछो” के कुछ हफ्ते बाद यह घटना हुई। 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापना के निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दी थी। इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने इसे प्रचार हित याचिका करार दिया था।
तब चीफ जस्टिस गवई ने कहा था, “यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका है, जाइए और स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो आप प्रार्थना कीजिए और थोड़ा ध्यान भी कीजिए।”सीजेआई की इस टिप्पणी पर हिंदूवादी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी। सोशल मीडिया पर भी इस पर बहस छिड़ गई थी।