Supreme Court : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि राहुल गांधी के खिलाफ लगे आरोप नफरत फैलाने के पूर्व नियोजित प्रयास का हिस्सा हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी की याचिका खारिज करने की अपील की है, (Supreme Court )जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
यूपी सरकार द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट ने तथ्यों और साक्ष्यों का सही तरीके से मूल्यांकन किया और आईपीसी की धारा 153-ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया। यह भी कहा गया कि जांच से सामने आए तथ्य यह दर्शाते हैं कि राहुल गांधी ने समाज में जानबूझकर वैमनस्य फैलाने की कोशिश की।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी अब तक उन्हें राहत नहीं दी है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने गांधी के वकील से कड़े सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या स्वतंत्रता सेनानियों के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना उचित है? न्यायमूर्ति दत्ता ने उदाहरण देते हुए बताया कि महात्मा गांधी भी वायसराय को पत्र लिखते समय “आपका वफादार सेवक” शब्द का इस्तेमाल करते थे।
सावरकर की विरासत और राहुल गांधी की टिप्पणी
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला जिले में वीर सावरकर को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसके बाद यह मामला दर्ज किया गया। विपक्ष के नेता को इस टिप्पणी के लिए दिसंबर 2023 में लखनऊ की एक अदालत से समन जारी किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे की शिकायत को समर्थन देते हुए कहा कि राहुल गांधी ने समाज में नफरत फैलाने की नीयत से ऐसा बयान दिया। सरकार ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश उचित था और सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समन पर अस्थायी रोक जरूर लगाई थी, लेकिन गांधी को यह चेतावनी भी दी थी कि भविष्य में इस तरह की टिप्पणियों से बचें अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।