RSSB Chairman Alok Raj: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज का हालिया बयान विवादों में घिर गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों की गंभीर चिंताओं का मजाक उड़ाते हुए कहा, “पवनपुत्र की आज्ञा कौन टाले?” (RSSB Chairman Alok Raj)इस बयान ने न सिर्फ बेरोजगार युवाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि उनके भविष्य को लेकर बढ़ती अनिश्चितता को भी उजागर कर दिया। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर कोई कदम उठाएंगे या युवा यूं ही ठगे जाते रहेंगे?
भर्ती प्रक्रिया में देरी पर गैरजिम्मेदाराना बयान
राजस्थान के हजारों अभ्यर्थी पशु परिचर भर्ती परीक्षा के परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन जब एक अभ्यर्थी ने सोशल मीडिया पर मजाकिया अंदाज में रिजल्ट जल्दी जारी करने की अपील की, तो आलोक राज ने व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब देते हुए युवाओं की हताशा और संघर्ष का मजाक बना दिया। उन्होंने कहा,
“संयोग से कल पवनपुत्र मेरे भी सपने में आए और बोले कि आज के युवा धैर्य रखना नहीं चाहते। वे सब कुछ 2 मिनट नूडल्स की तरह चाहते हैं। तो उन्हें थोड़ा धीरज सिखाओ और पशु परिचर का रिजल्ट 3 अप्रैल से पहले मत देना। हो सके तो 3 मई तक खींचना। अब पवनपुत्र की आज्ञा कौन टाले?”
अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटा, बोर्ड की नीयत पर सवाल
इस गैरजिम्मेदाराना बयान के बाद राजस्थान के हजारों बेरोजगार युवा गुस्से में हैं। पहले ही भर्ती परीक्षाओं में देरी से परेशान युवा अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार और चयन बोर्ड का काम सिर्फ उनका मजाक बनाना रह गया है?
- अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार और चयन बोर्ड जानबूझकर भर्तियों में देरी कर रहा है, ताकि युवा हताश होकर दूसरी ओर चले जाएं।
- परीक्षा देकर भविष्य बनाने का सपना देखने वाले युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
- क्या बेरोजगार युवाओं की भावनाएं सिर्फ नेताओं और अफसरों के लिए हंसी-मजाक का विषय बनकर रह गई हैं?
- अभ्यर्थियों ने सवाल किया कि क्या चयन बोर्ड भर्ती परीक्षाओं को गंभीरता से लेना भी बंद कर चुका है?
भर्ती प्रक्रिया में देरी के पीछे की सच्चाई?
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में देरी हुई हो। हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर परिणामों को लटकाया जाता है, ताकि युवा वर्ग को कमजोर और हताश किया जा सके।
- कई परीक्षाएं कई महीनों से अटकी पड़ी हैं, लेकिन सरकार और चयन बोर्ड को इसकी कोई परवाह नहीं है।
- क्या भर्ती में घोटाले या राजनीतिक दबाव की वजह से रिजल्ट जानबूझकर रोका जा रहा है?
- अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करना अब सरकार और बोर्ड के लिए आम बात हो चुकी है।
क्या सरकार और बोर्ड युवाओं की मांगों को सुनेंगे?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आलोक राज और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड अपने इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर माफी मांगेंगे?
- क्या सरकार अब भर्ती परीक्षाओं को लेकर गंभीर होगी, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
- क्या बेरोजगार युवा अपने भविष्य के फैसले के लिए प्रशासन की मर्जी के गुलाम बने रहेंगे?
- क्या चयन बोर्ड को इस तरह का मजाक करने का कोई अधिकार है, जब हजारों युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं?
राजस्थान के युवाओं ने इस बयान के खिलाफ सोशल मीडिया पर विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। अब देखना होगा कि सरकार और चयन बोर्ड युवाओं की मांगों को कब तक नजरअंदाज करते हैं। या फिर बेरोजगारों का मजाक उड़ाने की यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी?