क्यों बच गए 69 आरोपी? SI परीक्षा घोटाले की गुत्थी सुलझाने में एसओजी क्यों हुई असफल?

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Sub-Inspector Recruitment Exam

Sub-Inspector Recruitment Exam: राजस्थान में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा (2021) (Sub-Inspector Recruitment Exam) की जांच कर रही एसओजी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपियों से पूछताछ न करना और डमी परीक्षार्थियों को पकड़ने में असमर्थता दर्शाता है कि क्या जांच सिर्फ दिखावे के लिए की जा रही है। जब तक ये आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।

बड़ी गड़बड़ी: सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में 69 आरोपी क्लीनचिट पर सन्नाटा

राजस्थान में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा (2021) में हुई गड़बड़ी की जांच में एसओजी की लापरवाही सामने आ रही है। फिर भी, FIR के बाद जांच में 69 नाम ऐसे सामने आए हैं, जो इस गड़बड़ी में शामिल थे। आश्चर्य की बात यह है कि एसओजी ने चालान से उनके नाम हटाकर उन्हें क्लीनचिट दे दी है। इन आरोपियों की सूची भास्कर के पास है, जबकि एसओजी अब तक इस मामले में कोई रिकवरी नहीं कर पाई है।

जांच में ढिलाई: क्या माफिया को बचाने का प्रयास?

इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जांच में यह ढिलाई माफिया और आरोपियों को बचाने के लिए की जा रही है?

 सिद्धार्थ यादव की अनदेखी

सिद्धार्थ यादव का नाम एफआईआर में 23 नंबर पर दर्ज है। वह एसआई भर्ती और जेईएन भर्ती में भी चयनित हुआ था। जबकि उसके पिता राजेन्द्र यादव को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, सिद्धार्थ को क्लीनचिट मिल गई है, हालाँकि जांच में उसे आरोपी माना गया था।

 ओमप्रकाश गोदारा का रिश्वत मामला

पुलिस उपाधीक्षक ओमप्रकाश गोदारा ने अपने बेटे करणपाल के लिए जगदीश विश्नोई से 20 लाख रुपए में पेपर खरीदा। करणपाल पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान गिरफ्तार हुआ, लेकिन ओमप्रकाश को एसओजी ने बचा लिया और पेपर की खरीद की बात को भांबू के जरिए बताकर जगदीश से उसके संबंधों को छुपा लिया।

 गोपीराम जांगू की पत्नी का संलिप्तता

चयनित गोपीराम जांगू को उसकी पत्नी विमला बिश्ननोई ने पेपर जगदीश से खरीद कर दिया। विमला महिला बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर है। यह तथ्य भी एसओजी की जांच में आ चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

प्रशासन की अनदेखी: क्लीनचिट …गिरफ्तारी

एसओजी ने परीक्षा प्रभारी राजेंद्र यादव को गिरफ्तार किया, लेकिन प्रिंसिपल जयप्रकाश राघव को क्लीनचिट दे दी। राजेंद्र के पूछताछ नोट में प्रिंसिपल की मिलीभगत का जिक्र था।

पारदर्शिता पर सवाल: क्या सच में होगी कार्रवाई?

जितेंद्र तंवर जैसे चयनित एसआई को भी पूछताछ के बाद क्लीनचिट दे दी गई, जबकि गिरफ्तार मनोज चौधरी ने उसे पेपर देने की बात कबूली थी। चयनित अभ्यर्थियों के भागने से यह स्पष्ट होता है कि एसओजी की जांच प्रणाली में गंभीर खामियां हैं।

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