राजस्थान में मौत बना स्कूल भवन, सात मासूमों की जान गई, पर जिम्मेदार कौन? सरकार अब भी खामोश

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Jhalawar school accident

Jhalawar school accident: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक बड़ा हादसा सामने आया है, जहां जर्जर स्कूल भवन गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 बच्चे घायल हो गए हैं। पूरे राज्य में इस घटना को लेकर शोक और आक्रोश का माहौल है। हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जर्जर स्कूल भवन को अब तक चिह्नित क्यों नहीं किया गया था। (Jhalawar school accident)प्रशासन की यह गंभीर लापरवाही अब बच्चों की जान पर भारी पड़ गई। यह हादसा सरकारी तंत्र की लापरवाह कार्यशैली को उजागर करता है।


वसुंधरा राजे ने जताया गहरा दुख, घायल बच्चों से की मुलाकात

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हादसे पर गहरा दुख प्रकट किया और तुरंत दिल्ली से झालावाड़ पहुंचकर घायल बच्चों व उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “यह अत्यंत दर्दनाक है। हमारे परिवार के 7 बच्चों को हमने खो दिया है। जैसे ही मुझे जानकारी मिली, मैं और दुष्यंत तुरंत यहां पहुंचे।”

वसुंधरा राजे ने हादसे के बाद मौके पर पहुंचकर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “दुख की इस घड़ी में राजनीति न करें। झालावाड़ के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूटा है। इस समय केवल मदद की ज़रूरत है, राजनीति की नहीं।” उनका इशारा नरेश मीणा की ओर था, जो पहले से ही वहां धरने पर बैठे थे।


शिक्षा विभाग पर सीधे सवाल, मांगी जवाबदेही

पूर्व मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जर्जर स्कूल भवनों का समय पर सर्वे होना चाहिए था। अगर भवन की हालत को पहले ही चिन्हित कर लिया गया होता, तो बच्चों को किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता था और यह हादसा टल सकता था।


भविष्य की योजना और मुआवजे का भरोसा

वसुंधरा राजे ने सरकार से अपील की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना बनाई जाए। साथ ही उन्होंने मुआवजे की मांग कर रहे परिजनों को आश्वासन देते हुए कहा कि उनकी ओर से हर संभव मदद का प्रयास किया जाएगा।


“बच्चों और अभिभावकों में भय का माहौल”

राजे ने चेताया कि ऐसी घटनाओं से बच्चों और अभिभावकों में भय का माहौल पैदा हो गया है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि ऐसे सभी जर्जर भवनों को तत्काल चिन्हित कर बच्चों को सुरक्षित भवनों में स्थानांतरित किया जाए, ताकि भविष्य में कोई और मासूम इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने।

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