क्या है पूरा मामला?
शिकायतों में आरोप है कि जल जीवन मिशन के तहत चल रहे टेंडर में तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन समितियों के सदस्यों के साथ मिलीभगत कर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी और फर्जीवाड़ा किया गया। आरोपों में कहा गया है कि कुछ ठेके धारकों और विभागीय अधिकारियों ने मिलकर टेंडर स्कीमों को प्रभावित किया, जिससे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग होने की आशंका है।
किसके खिलाफ कार्रवाई मंजूर हुई?
मुख्यमंत्री कार्यालय ने निम्नलिखित कदम उठाने की अनुमति दी है:
- तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित 6 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ धारा 17-ए के तहत विस्तृत जांच।
- चीफ इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, सुप्रीटेंडिंग इंजीनियर, टेक्निकल मेंबर और सेक्रेटरी-लेवल अधिकारियों पर भी जांच की मंजूरी।
- एक अन्य IAS अधिकारी के खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (वर्गीकरण, अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के नियम 8 के तहत नई जांच कार्यवाही।
पुरानी दंड कार्रवाइयों का क्या हुआ?
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि पहले से जारी दंडात्मक आदेशों की समीक्षा याचिकाएँ बेनतीजा ठहराई जाएँगी — राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, नियम 34 के तहत 5 अधिकारियों की रिव्यू याचिका को खारिज किया गया है, जिससे पहले दिए गए दंड बरकरार रहेंगे। साथ ही, सीसीए नियम 16 के अंतर्गत दो सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ प्रमाणित जांच निष्कर्ष को भी मंजूरी दी गई है।
मुख्यमंत्री का संदेश — “जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी; दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
क्यों यह मामला महत्वपूर्ण है?
जल जीवन मिशन केंद्र और राज्य की संयुक्त योजना है जिसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से पानी पहुंचाना है। इस योजना में बड़े पैमाने पर फंड लगते हैं; इसलिए निविदा-प्रक्रिया में गड़बड़ी से न सिर्फ परियोजनाओं का लाभ प्रभावित होता है बल्कि जनविश्वास भी गिरता है। राज्य सरकार की यह कार्रवाई ACB और ED की चल रही जांचों के साथ मिलकर पारदर्शिता और जवाबदेही का संदेश देती है।
कौन-से विभाग भूमिका निभा रहे हैं?
- राज्य स्तरीय: भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) — अपराध/भ्रष्टाचार जांच।
- केंद्र/वित्तीय जांच: प्रवर्तन निदेशालय (ED) — धनशोधन/वित्तीय लेन-देन की पड़ताल।
- राज्य प्रशासन: मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा अनुशासनिक और प्रशासनिक निर्देश।
आगे क्या उम्मीद करें?
जांचों के परिणामस्वरूप फौरी निलंबन, दंडात्मक कार्रवाई, या आपराधिक आरोपों तक के कदम हो सकते हैं — यदि जांच में भ्रष्टाचार या नियम बलात्कार साबित होता है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मामले की निष्पक्ष और व्यापक जाँच की जाएगी।

































































