भेट का महत्व और एजेंडा
यह पहली बार नहीं होगा जब पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औपचारिक बहस और वार्ता के लिए मिलेंगे — दोनों नेताओं ने हाल ही में फोन पर भी बातचीत की थी और द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत रखने की प्रतिबद्धता जताई। अनुमान है कि इस दौरे के दौरान ऊर्जा, व्यापार और रक्षा सहयोग पर विशेष जोर रहेगा।
संभव रक्षा समझौतों पर चर्चा
सूत्रों की रिपोर्टों के अनुसार, बैठक में एयर डिफेंस सिस्टम S-400 तथा लड़ाकू विमान Su-57 जैसी सामरिक संपत्तियों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने का प्रयास कर रही है और रिपोर्टें बताती हैं कि भारत-रूस साझेदारी में तकनीकी सहयोग, स्थानीय विनिर्माण व सोर्स-कोड साझा करने जैसे विषय भी उठ सकते हैं। हालांकि किसी भी सौदे या आधिकारिक पुष्टि पर आने तक उद्योग तथा सरकारों की आधिकारिक घोषणा प्रतीक्षित रहेगी।
राजनीतिक संदर्भ और वैश्विक दबाव
पुतिन का यह दौरा उस पृष्ठभूमि में हो रहा है जहाँ अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव और आर्थिक नीतियाँ भी चर्चा का हिस्सा हैं — विशेषकर रूस से तेल आयात को लेकर कुछ देशों द्वारा भारत पर टकराव और नीतिगत दबाव की खबरें सामने आई हैं। ऐसे समय में दोनों देशों के बीच हुए समझौते वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण संकेत देंगे।
फोरम और शेड्यूल
Roscongress ने बताया है कि Russia-India Forum 2025 4-5 दिसंबर को आयोजित होगा और इसका पूर्ण सत्र पुतिन की मौजूदगी में आयोजित किया जाएगा। क्रेमलिन ने तिथियों की औपचारिक घोषणा बाद में करने का संकेत दिया है, पर आयोजक संस्थान ने 5 दिसंबर का टैमटेबल साझा किया है।
क्या आगे होगा
- राजनयिक परिसरों और दोनों देशों के मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय द्वार खोलने वाले समझौते संभव।
- रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर एमओयू/समझौतों पर चर्चा — पर औपचारिक पुष्टि के लिए दोनों पक्षों की घोषणाओं का इंतज़ार।
- अमेरिका तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों की निगरानी और प्रतिक्रियाएँ भी इस दौरे के दौरान अहम रहेंगी।


































































