वाइस एडमिरल ने बताया कि हिंद (Operation Sindoor)महासागर में extra-regional शक्तियों की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी वक्त इस क्षेत्र में 40-50 से अधिक विदेशी युद्धपोत सक्रिय रहते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारतीय नौसेना इन सभी जहाज़ों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखती है — “हमें पता है कौन आता है, कब जाता है और क्या कर रहा है।”
हिंद महासागर की चुनौती
वाइस एडमिरल वात्स्यायन ने कहा कि हिंद महासागर दुनिया के लिए तेल और माल परिवहन का प्रमुख मार्ग है, इसलिए यहां पारंपरिक (क्षेत्रीय शक्ति तनाव) और गैर-पारंपरिक (समुद्री डकैती, मानव तस्करी, ड्रग्स तस्करी) दोनों तरह की चुनौतियाँ बनी रहती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नौसेना इन सभी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
नए जहाज और पनडुब्बियाँ शामिल
नौसेना के आधिकारिक बढ़ोत्तरी पर प्रकाश डालते हुए वाइस एडमिरल ने कहा कि इस साल अब तक नौसेना में 10 नए जहाज और 1 पनडुब्बी शामिल की जा चुकी है। “दिसंबर तक चार और जहाज़ मिलने की उम्मीद है; अगले वर्ष लगभग 19 और उसके बाद अतिरिक्त 13 जहाज डिलीवर होंगे,” उन्होंने बताया।
वाइस एडमिरल ने यह भी बताया कि आगामी अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू एवं मिलन अभ्यास में अमेरिका और रूस ने भागीदारी की पुष्टि की है और दोनों देशों के जहाज़ व कुछ विमानों की उपस्थिति की आशंका है। अभी तक 55 से अधिक देशों ने सहभागिता के संकेत दिए हैं, और शेष चार महीनों में यह सूची बढ़ने की संभावना है। उनके बयानों को सरकार और नौसेना की ओर से एक स्पष्ट, आत्मविश्वासी संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है और भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तत्पर है। उन्होंने दोहराया कि रणनीति, अभ्यास और विदेशी साझेदारी निरंतर बनी रहेंगी ताकि हिंद महासागर में सुरक्षा और निर्बाध समुद्री परिवहन सुनिश्चित किया जा सके।


































































